हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार " पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلی الله علیہ وآله وسلم
یَا عَلِیُّ لَوْ أَنَّ عَبْداً عَبَدَ اللَّهَ مِثْلَ مَا قَامَ نُوحٌ فِی قَوْمِهِ وَ کَانَ لَهُ مِثْلُ أُحُدٍ ذَهَباً فَأَنْفَقَهُ فِی سَبِیلِ اللَّهِ وَ مُدَّ فِی عُمُرِهِ حَتَّى حَجَّ أَلْفَ عَامٍ عَلَى قَدَمَیْهِ ثُمَّ قُتِلَ بَیْنَ الصَّفَا وَ الْمَرْوَةِ مَظْلُوماً ثُمَّ لَمْ یُوَالِکَ یَا عَلِیُّ لَمْ یَشَمَّ رَائِحَةَ الْجَنَّةِ وَ لَمْ یَدْخُلْهَا
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:
ए अली! अगर कोई बंदा हज़रत नूह अ.स. के अपनी कौम में की जाने वाली इबादत जितनी इबादत करें और उसके पास वहाद पहाड़ जितना सोना हो और वह इसे खुदा की राह में खर्च कर दे!
और इतनी लंबी उम्र करें कि उसमें एक हज़ार साल तक पैदल हज करता रहे और फिर सफा व मरवा के दरमियान मज़लूमाना कत्ल भी कर दिया जाए.. लेकिन अगर वह तुम्हें अपना मौला और आका स्वीकार ना करता हो, (दोस्त ना रखता हो) तो वह जन्नत की खुशबू तक ना सूंग पाएगा और ना ही जन्नत में दाखिल होगा,
बिहारूल अनवार अलजमियातुल अखबार,भाग 27,पेंज 19