۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
लखनऊ

हौज़ा/ अपने बच्चों के बारे में अधिक से अधिक जाने और उसके नज़रियों को अच्छी तरीके से पहचाने अधिकतर देखा गया है कि एक ही बच्चे के बारे मे उसके अभिभावकों का और उसके अध्यापकों का नजरिया अलग अलग होता है और ख़ुद बच्चा अपना एक अलग ही नजरिया रखता है, ऐसी कंडीशन में बच्चों को जानना कितना ज़रूरी है?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,किसी भी बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर सीधा प्रभाव उसके साथ या उसके पास रहने वाले उसके अपनों की सोच और व्यवहार पर निर्भर करता है I अधिकतर देखा गया है कि एक ही बच्चे के बारे मे उसके अभिभावकों का और उसके अध्यापकों का नजरिया अलग अलग होता है और ख़ुद बच्चा अपना एक अलग ही नजरिया रखता है I ऐसे मे वह बच्चा अलग अलग तरह से अपनों ही के बीच किसी ऐसे अपने को ढूँढने की कोशिश करता है जो कि उसके भी नजरिए को समझ सके I और इसी कशमकश में बच्चे के न सिर्फ़ शारीरिक बल्कि मानसिक विकास में भी कुप्रभाव का सामना करना पड़ता है जिसका सीधा असर उस बच्चे की पढ़ाई या ज्ञान अर्जन क्षमता पर पड़ता हैI
जबकि होना यह चाहिए के हम अभिभावकों या अध्यापकों को हर बच्चे को उसके नजरिए से भी समझने की कोशिश करनी चाहिएI
इसी सम्बंध में हेल्थ केयर स्टार्ट अप *STUFIT* द्वारा एक सर्वे की शुरुआत यूनिटी मिशन कॉलेज लखनऊ में की गई जिसमें 16 हेल्थ वॉलनटियर की टीम एक एक बच्चे के अभिभावक और अध्यापक से अलग अलग मिलकर जानेंगे के वे अपने बच्चे के बारे मे क्या नजरिये रखते हैं? क्या दोनों के नजरिए उस अमुक बच्चे के लिए एक समान है? अध्यापक और अभिभावक स्वयं अपने बच्चे को कितना जानते ? इत्यादि I
निस्संदेह परिणाम चौंकाने वाले होंगे और भविष्य में इन परिणामों से हम शिक्षा एवं स्वास्थ्य दोनों की अहमियत को समझते हुए राष्ट्र हित में अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ रूपरेखा तैयार कर सकते हैं I
इस प्रयास में हम STUFIT की टीम प्रदेश एवं राष्ट्र स्तर पर सभी स्कूल प्रबंधनों तथा अभिभावक गण से सहयोग की कामना करते हैं I

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