हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,घमंड के दूसरी तरफ़ है कमज़ोर इरादा और उदासीनता। यानी दोनों एक दूसरे के उलट हैं। यह भी एक बीमारी है, यह भी इन्सान को तबाह कर देती है।
कमज़ोर इरादे का क्या मतलब है? यानी इरादा न कर पाना, ख़ुद को कमज़ोर समझना, ख़ुद को बेकार समझना, यह सोचना कि बस अब मेरे बस का नहीं है, अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है, अब अच्छाई की कोई उम्मीद नहीं है, यह सब कमज़ोर इरादे का असर है।
ख़ुदा की रहमत से नाउम्मीद होना इसी बीमारी का एक असर है, जो ख़ुद गुनाहे कबीरा यानी बड़े गुनाहों में से है। यह बहुत ख़तरनाक ज़हर है। एक संस्था के हेड के लिए सच में यह ज़हर है कि वह समझे कि बस अब कुछ नहीं हो सकता।
इमाम ख़ामेनेई,
आपकी टिप्पणी