۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
रहबर

हौज़ा/इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,ख़ुदा की रहमत से ‎नाउम्मीद होना घमंड जैसी बीमारी का एक ‎असर है, जो ख़ुद गुनाहे कबीरा यानी बड़े ‎गुनाहों में से है यह ‎बहुत ख़तरनाक ज़हर ‎हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,घमंड के दूसरी तरफ़ है कमज़ोर ‎इरादा और उदासीनता। ‎यानी दोनों एक दूसरे के उलट हैं। यह भी एक बीमारी है, यह भी इन्सान ‎को तबाह ‎कर देती है।


कमज़ोर इरादे का क्या मतलब है? यानी इरादा न कर ‎पाना, ख़ुद को ‎कमज़ोर समझना, ख़ुद को बेकार समझना, यह सोचना कि बस ‎अब मेरे बस का नहीं ‎है, अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है, अब अच्छाई की कोई ‎उम्मीद नहीं है, यह सब ‎कमज़ोर इरादे का असर है।


ख़ुदा की रहमत से ‎नाउम्मीद होना इसी बीमारी का एक ‎असर है, जो ख़ुद गुनाहे कबीरा यानी बड़े ‎गुनाहों में से है। यह ‎बहुत ख़तरनाक ज़हर ‎है। एक संस्था के हेड के लिए सच में यह ज़हर है कि वह ‎समझे कि बस अब ‎कुछ नहीं हो सकता।

इमाम ख़ामेनेई,

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