۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
मौलाना अली हाशिम आबदी

हौज़ा / विलयःत का अर्थ है हमारी बात, कर्म और यहां तक ​​कि विचार भी मौला के आज्ञाकारी होने चाहिए। न अपनी कोई इच्छा रहे और न अपनी कोई तमन्ना हो, जो मौला का आदेश हो उस आज्ञा का पालन करो। किसी की तारीफ से खुश न हों और किसी की बदनामी से परेशान न हों। देखना यह है कि मौला राजी होता है या नहीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी, जोगीपुरा / नजीबाबाद की रिपोर्ट के अनुसार। दरगाहे आलिया नजफ ए हिंद में वार्षिक मजालिस चल रही है। मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने हदीस ए कुदसी को अपना शीर्षक बताने हुए उन्होंने कहा कि विलायत का अर्थ है हमारा क़ौल, अमल और यहां तक कि विचार भी मौला के आज्ञाकारी होने चाहिए। न अपनी कोई इच्छा रहे और न अपनी कोई तमन्ना हो, जो मौला का आदेश हो उस आज्ञा का पालन करो। किसी की तारीफ से खुश न हों और किसी की बदनामी से परेशान न हों। देखना यह है कि मौला राजी होता है या नहीं?

मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी के कथन के अनुसार, "इमाम अली रज़ा (अ.स.) के कुछ प्रशंसकों ने जलील-उल-क़द्र साहबी पर अज्ञानी होने का आरोप लगाया जिससे वो नाराज हुए उन्होने कसम खा कर उन आरोपो का खंडन करने लगे तो इमाम रज़ा (अ.स.) ने कहा," कसम क्यों खा रहे हैं? इस बात की परवाह न करें कि लोग क्या कहते हैं देखो तुम्हारा इमाम तुमसे खुश है या नहीं। मैं तुम्हारा इमाम हूँ, मैं तुमसे खुश हूँ। मौला को खुश होना चाहिए चाहे दुनिया खुश हो या नाराज़।

गौरतलब है कि दरगाहे आलिया नजफ ए हिंद की मजलिसो मे मौलाना सैयद हबीब हैदर आबिदी और दरगाहे आलिया नजफ ए हिंद की प्रबंधन समिति द्वारा इस साल 26 से 29 मई तक आयोजित की जा रही है। जिसमें देश भर के विद्वान, जाकिर और विश्वासी भाग ले रहे हैं।

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