हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई के फत्वे के अनुसार:
सवाल: क्या उस वक्त कि जब इमामे जमाअत रुकू के लिए झुक चुका हो लेकिन अभी रुकू में ना पहुंचा हो, जमाअत में शामिल हो सकते हैं?
उत्तर: पहली और दूसरी रकाअत में कोई हर्ज नहीं रखता लेकिन तीसरी और चौथी रकाअत में अगर जानता हो कि सुरह हम्द पढ़कर रुकूं में इमामे जमाअत के साथ शामिल नहीं हो सकता तो इक्तेदा और जमाअत में शमिल होने के लिए एहतियात यह है कि सब्र करें यहां तक कि इमामे जमात मुकम्मल तौर पर रुक की हालत अख्तियार कर ले फिर उस इक्तेदा कर के जमात में शामिल हो जाए