۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
مولانا کلب جواد نقوی امام جمعہ آصفی مسجد لکھنؤ

इमामे जुमा लखनऊ ने कहा, "मुहर्रम में जब हमने बड़े इमामबाड़े मे मजलिसे आयोजित करने की घोषणा की थी, तो उसी समय प्रशासन ने कहा था कि हम अभी भी जांच कर रहे हैं कि बड़ा इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है या नहीं! उनका बयान इंडियन एक्सप्रेस में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था। कुछ मौलवी प्रशासन के समर्थन में कह रहे थे कि प्रशासन द्वारा ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया था, यह सब झूठ है। लेकिन आज यह साबित हो गया है कि प्रशासन इमामबाडे की धार्मिक स्थिति को मान्यता नहीं देता है। पुलिस चार्ज शीट मे मेरा नाम है मौलाना रज़ा हुसैन साहब, मौलाना हबीब हैदर साहब, मौलाना फिरोज हुसैन साहब और अन्य शामिल हैं। यह प्रशासन की मंशा साबित करता है। ये हमारे इमामबाड़े पर क़ब्ज़ा करके इसे पर्यटक स्थल बनाना चाहते है"।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इमामे जुमा लखनऊ मौलाना सैयद कलबे जवाद नकवी ने मुहर्रम के महीने में बड़े इमामबाड़े में आयोजित मजलिसो (शोक सभाओ) के बारे में प्रशासन द्वारा दायर की गई एक एफआईआर और अदालत में दाखिल की गई याचिका की आलोचना करते हुए कहा कि इमामबाड़े में मजलिसे करना कब से अपराध हो गया? इस एफआईआर ने प्रशासन की मंशा को सिद्ध कर दिया है। यदि वे इमामबाड़े की धार्मिक स्थिति को स्वीकार करते हैं, तो मजलिसे आयोजित करने पर हमारे खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाती।

मौलाना ने कहा कि मुहर्रम में जब हमने बड़े इमामबाड़े मे मजलिसे आयोजित करने की घोषणा की थी, तो उसी समय प्रशासन ने कहा था कि हम अभी भी जांच कर रहे हैं कि बड़ा इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है या नहीं! उनका बयान इंडियन एक्सप्रेस में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था। कुछ मौलवी प्रशासन के समर्थन में कह रहे थे कि प्रशासन द्वारा ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया था, यह सब झूठ है। लेकिन आज यह साबित हो गया है कि प्रशासन इमामबाडे की धार्मिक स्थिति को मान्यता नहीं देता है। पुलिस चार्ज शीट मे मेरा नाम है मौलाना रज़ा हुसैन साहब, मौलाना हबीब हैदर साहब, मौलाना फिरोज हुसैन साहब और अन्य शामिल हैं। यह प्रशासन की मंशा साबित करता है। ये हमारे इमामबाड़े पर क़ब्ज़ा करके इसे पर्यटक स्थल बनाना चाहते है।

मौलाना ने कहा कि हम प्रशासन को एक बार फिर बताना चाहते हैं कि बड़ा इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है, यहां हमेशा की तरह मजलिसे होंगी। यदि मजलिसो पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो हम इसके खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे और किसी भी तरह से वे इसकी परवाह नहीं करेंगे। अगर इमामबाड़े मे मजलिसो को प्रतिबंधित किया जाता है तो फिर इमामबाड़े और भूलभूलय्या मे पर्यटक भी नही आएगें।

मौलाना ने कहा कि हमारे पास इस बात के साक्ष मौजूद हैं कि बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक जो इमामबाड़ा आते हैं, उनके पास टिकट नहीं होता है, आखिर इस भ्रष्टाचार पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?

मौलाना ने कहा कि चूंकि पर्यटकों को इमाम बाड़े में आने की अनुमति दी गई है, अब तक बड़े और छोटे इमाम बाड़े में 5% पर्यटक आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करते रहे हैं, जिनकी तस्वीरें उपलब्ध हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? और इस संबंध में कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई?

मौलाना ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान असंख्य राजनीतिक और गैर-राजनीतिक रैलियां हुई हैं, जिसमें आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है। प्रशासन ने इन रैलियों पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की? केवल बाड़ा इमामबाड़ा में मजलिसे आयोजित करने के लिए एफआईआर दर्ज करने से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन बदला ले रहा है।

मौलाना ने कहा कि जिला प्रशासन ने मुहर्रम में होने वाली मजलिसो के बारे में हमारे खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है और अदालत में एक चार्जशीट दायर की गई है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि हमने कोई भी अपराध नहीं किया, लेकिन मुहर्रम में इमामबाड़े मे मजलिसे हुई हैं। अगर प्रशासन को लगता है कि यह अपराध है, तो हमें गिरफ्तार करें।

मौलाना ने कहा, "उलेमा ने फैसला किया है कि हम जमानत के लिए अदालत नहीं जाएंगे, लेकिन गिरफ्तारी पसंद करेंगे।"

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