हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक मानवाधिकार संगठन ने सूचना दी है कि सऊदी अरब की एक अदालत ने समाजिक कार्यकर्ताओं और आले सऊद शासन से नाराज़ लोगों का दमन जारी रखते हुए एक ताज़ा मामले में सोशल मीडिया पर अपनी विचार व्यक्त करने वाली एक महिला को 45 साल कारावास की सज़ा सुनाई हैं।
सऊदी अरब का मानवाधिकारों की श्रेणी में एक काला रिकॉर्ड है और पिछले वर्षों में, ग़ैर-कानूनी तरीक़ों से दी गई मौत की सज़ाएं, मनमानी गिरफ़्तारियां, ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा आम लोगों का अपहरण, राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हिरासत और धार्मिक अल्पसंख्यकों की वैध मांगों के दमन सऊदी अरब में आम बात होती जा रही हैं।
आले सऊद सरकार दुनिया के हर तरह के मानवाधिकारों का खुले आम उल्लंघन करता रहता है, इसकी वजह यह भी है कि वह अपने जुर्मों और अपराधों को पैसे के ज़रिए इस जुर्म को दाबा देता हैं।
इस बीच सऊदी अरब के सरकारी मीडिया ने नूरा बिन्त सईद अलक़हतानी की गिरफ़्तारी के संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं आले सऊद शासन के किसी भी अधिकारी ने इस बारे में बोलने से इंकार किया है। जबकि मानवाधिकार संगठन "डॉन" ने सोशल नेटवर्क पर क़हतानी और उनकी पोस्ट के बारे में जानकारी शेयर की हैं और उसके बाद यह दूसरी महिला है जिस को 45 साल की सजा सुनाई गई हैं।