हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "तोहफ़ुल-अक़ूल" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام السجاد علیه السلام:
المُؤمِنُ مِن دُعائِهِ عَلى ثَلاثٍ: إمّا أن يُدَّخَرَ لَهُ و إمّا أن يُعَجَّلَ لَهُ و إمّا أن يُدفَعَ عَنهُ بَلاءٌ يُريدُ أن يُصيبَهُ
हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) ने फ़रमाया:
एक मोमिन इस दुआ से निम्नलिखित तीन परिणामों में से एक प्राप्त करता है:
1. यह (दुआ) उसके लिए जमा हो जाती है।
2. दुआ संसार में ही स्वीकार होती है।
3. इस दुआ के बदले में उस पर आने वाली विपत्ति टल जाती है।
तोहफुल-उक़ूल, पेज 280