हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल: क्या ऐसी पोशाक पहनना जाइज़ है जिस पर विदेशी संस्कृति का पालन करने,कुफ्फार के साथ अनुकरण करने और अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के शब्द या चित्र छपे हों? और क्या उक्त पोशाक को पहनना पश्चिमी संस्कृति का प्रचार कहलाएगा?
उत्तर: अगर समाज में बुराइयों का सबब ना हो तो बजाते खुद जायज़ हैं और यह काम अगर इस्लामिक कल्चर को बढ़ावा देना और पश्चिमी समाज और रस्म को बढ़ावा देने का सबब बने तो इस पर नजरिया देना समाज का काम हैं।