हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "अलकाफी" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
إنَّ مِن بَقاءِ المُسلمينَ و بَقاءِ الإسلامِ أن تَصيرَ الأموالُ عندَ مَن يَعرِفُ فيها الحَقَّ ، و يَصنَعُ (فيها) المَعروفَ ، فإنَّ مِن فَناءِ الإسلامِ و فَناءِ المُسلمينَ أن تَصيرَ الأموالُ في أيدي مَن لا يَعرِفُ فيها الحَقَّ، و لا يَصنَعُ فيها المَعروفَ
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
मुसलमानों और इस्लाम के उत्थान (सरबुलन्दी) का एक कारण यह भी है कि धन ऐसे व्यक्ति के पास हो,कि जो हक़ को जानता हो,और उसे नेक कामों और भलाई में खर्च करें और इस्लाम और मुसलमानों के विनाश के सबब में से यह हैं कि धन को ऐसे आदमी के हवाले कर दिया जाए जो हक और सच्चाई को नहीं जानता हो और इस धन को नेकी और सच्चाई के कामों में ना खर्च करता हो,
काफी,4/25/1