۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रहबर

हौज़ा/हज़रत रसूल स.ल.व.व. के नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम के मुबारक जन्म दिन के मौक़े पर शायरों और फ़ार्सी साहित्य की हस्तियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शेर और साहित्य के क्षेत्र से संबंधित अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला और पश्चिमी देशों के मानवाधिकारों के दावों की आलोचना की हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत रसूल स.ल.व.व. के नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम के मुबारक जन्म दिन के मौक़े पर शायरों और फ़ार्सी साहित्य की हस्तियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की इस मौक़े पर अपनी तक़रीर में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शेर और साहित्य के क्षेत्र से संबंधित अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला और पश्चिमी देशों के मानवाधिकारों के दावों की आलोचना की हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की तक़रीर के कुछ बिंदु इस तरह हैं:

पश्चिमी मुल्कों का अगर बस चले तो इस्लामी जुम्हूरिया ईरान जैसे मुल्क को जो स्वाधीनता और रेज़िस्टेंस के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, ज़रूरी खाद्य पदार्थों से भी महरूम कर दें, जैसाकि उन्होंने उस के लिए ज़रूरी दवाओं पर रोक लगा रखी है। 2019 में जब हमें वैक्सीन की ज़रूरत पड़ी तो पैसे ले लिए लेकिन हमें वैक्सीन नहीं दी। 

वेस्ट ह्यूमन राइट्स का तरफ़दार नहीं इंसानियत का दुश्मन है! दाइश, सद्दाम और आतंकी संगठन एमकेओ की हिमायत की शक्ल में हम उनके ह्यूमन राइट्स देख चुके हैं और फ़िलिस्तीन के ख़िलाफ़ ज़ायोनी हुकूमत के अपराधों की भरपूर हिमायत की शक्ल में आज देख रहे हैं। 

वेस्ट के ह्यूमन राइट्स हम तेहरान की सड़कों पर नौजवानों के क़त्लेआम और टार्गेट किलिंग की शक्ल में देख चुके हैं। दंगाइयों ने हमारे पाकीज़ा नौजवानों जैसे आरमान अलीवेर्दी और रूहुल्लाह अजमियान को यातनाएं देकर क़त्ल किया वेस्ट के कान पे जूं नहीं रेंगी बल्कि उकसाया भी, ट्रेंनिंग भी दी।

 वेस्ट को ईरानी महिलाओं से कोई हमदर्दी नहीं बल्कि दुश्मनी है। क्योंकि अगर महिलाओं की भागीदारी न होती तो इस्लामी इंक़ेलाब हरगिज़ कामयाब न होता। 
वाक़ई वेस्ट का औरतों के अधिकारों का दावा करना अच्छा नहीं लगता। आज भी पश्चिमी देशों में महिलाओं को बड़ी अहम मुश्किलों का सामना है। 

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