۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
ईद

हौज़ा/ईदे ग़दीर इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण ईदों में से एक है ग़दीरे ख़ुम मक्का और मदीना के बीच एक इलाक़ा है, जहां पैग़म्बरे इस्लाम स.ल.व.व. ने अपने आख़िरी हज से वापसी के दौरान, हज़रत अली अ.स. को अपना उत्तराधिकारी और ख़लीफ़ा घोषित किया था,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईदे ग़दीर इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण ईदों में से एक है ग़दीरे ख़ुम मक्का और मदीना के बीच एक इलाक़ा है, जहां पैग़म्बरे इस्लाम स.ल.व.व. ने अपने आख़िरी हज से वापसी के दौरान, हज़रत अली अ.स. को अपना उत्तराधिकारी और ख़लीफ़ा घोषित किया था,

शुक्रवार 7 जुलाई का दिन मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन ईदे ग़दीर है। पवित्र नगर मक्का और मदीना के बीच में ग़दीर नाम का एक छोटा तालाब है जिसके पास इतिहास की महत्वपूर्ण घटना घटी हैंं।

18 ज़िलजिज्जा को महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम पर वही अर्थात ईश्वरीय संदेश भेजा कि हे पैग़म्बर उस चीज़ को पहुंचा दीजिये जो तुम्हारे पालनहार की ओर से उतारी जा चुकी है और अगर आपने यह कार्य नहीं किया तो पैग़म्बरी का कोई कार्य ही अंजाम नहीं दिया और ईश्वर लोगों से आपकी सुरक्षा करेगा।

हज से वापसी के दौरान, पैग़म्बरे इस्लाम ने ख़ुदा के आदेशानुसार, समस्त हाजियों को ख़ुम के मैदान में जमा होने का आदेश दिया और जब सब इकट्ठा हो गए, तो हज़रत अली (अ) की इमामत और विलायत का एलान किया। इस अवसर पर पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने ख़ुत्बा देते हुए कहाः जिस जिस का मैं मौला हूं, अली उसके मौला हैं।

ईदे ग़दीर के शुभ मौक़े पर जहां दुनिया भर में मुसलमान जश्न मनाते हैं वहीं इस्लामी गणराज्य ईरान में भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ ईदे ग़दीर का जश्न मनाया जाता है। जिसकी तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। इस समय पूरा ईरान दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है।

महफ़िलों का सिलसिला शुरू हो चुका है जो शुक्रवार देर रात तक जारी रहेगा है। इस अवसर पर ईरान की राजधानी तेहरान के इमाम हुसैन चौक से मैदाने आज़ादी नामक केंद्रीय चौक तक 10 किलोमीटर लंबा दस्तरख़ान बिछाया जा रहा है। पिछले साल की तरह इस साल भी हज़ारों लोगों के इस कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।

वहीं पवित्र नगर मशहद और क़ुम में भी ईदे ग़दीर के जश्न की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। जबकि इराक़ के पवित्र नगर नजफ़ में स्थानीय और विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। बता दें कि इस्लामी कैलेंडर में इस ईद को इस्लाम की सबसे बड़ी ईदों में से एक माना गया है। बल्कि इस दिन को सभी ईश्वरीय धर्मों की सबसे ईद कहा जा सकता है, क्योंकि यह समस्त ईश्वरीय दूतों के प्रयासों का नतीजा है।

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