बुधवार 23 अगस्त 2023 - 23:38
बड़ी ताक़तों के सामने झुकना हार व नाकामी की सबसे बड़ी निशानी

हौज़ा/ सुप्रीम लीडर ने फरमाया बड़ी ताकत है हमेशा चाहती है कि सबको दबा कर रखें,अगर कोई दुश्मन इतनी बड़ी भौतिक ताक़त के साथ एक क़ौम पर हमला करे और वह आठ साल तक उससे जंग लड़ती रहे लेकिन आठ साल की जंग के बाद भी सब कुछ पहले की तरह अपनी जगह क़ायम रहे तो क्या यह एक क़ौम की कामयाबी नहीं है?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर ने फरमाया,अमरीकी वर्चस्व की मुसीबत, जंग की मुसीबत से सौ गुना ज़्यादा सख़्त है किसी क़ौम के लिए विदेशी वर्चस्व (और साम्राज्यवादी वर्चस्व) हर तरह की जंग की मुसीबत या हर तरह के नुक़सान से ज़्यादा सख़्त और भारी है।

जैसे ही आपने उनके सामने सिर झुकाया बड़ी ताक़तें उसके बाद किसी हद पर नहीं ठहरतीं यह सिर्फ़ अवाम का प्रतिरोध व दृढ़ता है जिसको वह अहमियत देती और फ़ासला बनाए रखने पर मजबूर होती हैं।

हर वह क़ौम जिसने बड़ी ताक़तों के सामने सिर झुकाने की ज़रा भी निशानी ज़ाहिर की हार गई और वह भी बहुत बुरी तरह वो चाहते थे कि इस्लामी गणराज्य ईरान को भी झुकने पर मजबूर कर दें लेकिन न कर सके।

आठ साल की जंग के बाद यह ज़रूरी नहीं है कि हम क़सम खाएं या आयत पढ़ें कि हम जंग में कामयाब हुए हैं जंग में कामयाबी और क्या होती है?

अगर कोई दुश्मन इतनी बड़ी भौतिक ताक़त के साथ एक क़ौम पर हमला करे और वह आठ साल तक उससे जंग लड़ती रहे लेकिन आठ साल की जंग के बाद भी सब कुछ पहले की तरह अपनी जगह क़ायम रहे तो क्या यह एक क़ौम की कामयाबी नहीं हैं।

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