۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
کلب سبطین نوری

हौज़ा/डॉ कल्बे सिब्तैन नूरी ने कहां,हर कोई कौम का दर्द समझें और ज्यादा से ज़्यादा एजुकेशन पर ध्यान दें,पिछले 7 साल में सरकार ने शिया क़ौम की तालीम , रोज़गार और तरक्की के लिए क्या किया ? इस पर संजीदगी से गौर करना चाहिए

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,शिया मोमेनीन इस वक्त किन मसायल से दोचार हैं हमारे आलिम और दानिश्वर इस पर संजीदगी से सोचें इस से पहले कि जवान बदज़नी का शिकार हों और किसी की बात न सुनें,

1,कोरोना के बाद के हालात ने हजारों लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है । रोज़गार खत्म हो रहा है , नौकरी हैं नहीं । हमारी क़ौम पर भी कोरोना का ज़बरदस्त नेगेटिव असर पड़ा है

2, बेरोज़गारी और बढ़ती महंगाई ने हमारे जवानों और उनके घर वालों को परेशान करके रख दिया है

3, हज़ारों शिया घर हैं , जिनके सामने रोज़ी रोटी का मसअला सर उठाए खड़ा है । इलाज , घर के रोज़ाना के खर्च मारे डाल रहे हैं

4, आपस की दुश्मनियां दिन बा दिन बढ़ती जा रही हैं और सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ़ ज़हर उगला जा रहा है जिसे दुनिया देख रही है

5, दीन की रूह से ना आशना लोग रस्मों को अपना दीन समझ बैठे हैं

6.दीनी और दुनियावी तालीम पर सबसे ज्यादा फोकस होना चाहिए जिसको नज़र अंदाज किया जा रहा है

7, ओलमा के साथ दीनदार , पढ़े लिखे और ईमानदार वा दियानतदार अफ़राद जिनकी समाज में साफ़ सुथरी इमेज हो रहना चाहिए वरना मैसेज बहुत ख़राब जाता है  । गड़बड़ और सौदेबाज़ी ये अफ़राद करते हैं ,  बदनामी आलिम की होती है मगर बार बार कहने के बाद भी कोई क़दम नहीं उठाया जाता
8, पिछले 7 साल में सरकार ने शिया क़ौम की तालीम , रोज़गार और तरक्की के लिए क्या किया ? इस पर संजीदगी से गौर होना चाहिए । हमारी क़ौम किसी सियासी पार्टी की बपौती नहीं चाहे कोई भी पार्टी हो

9, जिस तरह आए दिन हमारे दीनी मुकद्देसात और शरीयत और मुकद्दस शख्सियात पर हमले किए जा रहे हैं इस सिलसिले में हमारे ओलमा क़ौम की रहनुमाई करें

10,हमारे हर इदारे , कॉलेज , इमामबाड़े और औकाफ पूरी ईमानदारी और दियानत दारी के साथ काम करें अल्लाह का खौफ रख कर पूरी शफ्फाफियत ( Transparency ) के साथ । किसी इदारे में बेईमानी बर्दाश्त नहीं । ये दीनी और कौमी ईदारे हमारे बुज़ुर्ग आलिमों ने क़ौम की फलाह के लिए कुर्बानियां देकर खोले थे , यहां करप्शन और बद उनवानी किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं हो सकती
सब जवाबदेह हैं चाहे मैं हूं , कोई आलिम हो या कोई खतीब या लीडर । सबसे गलती का इमकान है और अपनी गलती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता । जो हो गया सो हो गया , अब हम सब मिल कर क़ौम की फलाह और बहबूद के लिए खुलूस से काम करें और आखिरत की फिक्र करें । जिंदगी का कोई भरोसा नहीं
अगर मैंने या किसी ने अपने ज़ाती मफादात के लिए मोमेनीन के मुस्तकबिल से खिलवाड़ किया तो मौत के बाद भुगतने के लिए तैयार रहें क्योंकि कोई देखे न देखे लेकिन अल्लाह दिलों के हाल तक को जानता है । अल्लाह हम सबकी हिदायत करे और गुनाहों को माफ करे ( आमीन )  । सच और हक़ बयान बनिए वरना नाम के हुसैनी हैं
किसी सम्मेलन में या किसी जमावड़े में अगर बुनियादी मुद्दों पर संजीदगी से बात नहीं की गई तो ये सिर्फ़ दौलत की बरबादी है और कुछ नहीं । आज के मसाइल Problems को देखिए , जिनसे हमको सरोकार है जज़्बाती मुद्दों में बहुत उलझाया जा चुका हैं।
 

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