शुक्रवार 25 अगस्त 2023 - 08:36
सूर ए बक़रा: ग़ौर और फ़िक्र इस्लाम के बुनियादी और सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक है

हौज़ा / अल्लाह की आयतों को पढ़ने से ग़ौर और फ़िक्र की जागृति होती है। लोगों में तर्क और विचार के माध्यम से आयतों और आदेशों को समझने की क्षमता होती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

كَذَٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمْ آيَاتِهِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ    कज़ालेका योबय्येनुल्लाहो लकुम आयातेहि लाअल्लकुम ताअक़ेलून (बकरा, 242)

अनुवाद: इसी प्रकार, अल्लाह तुम्हे अपनी आयतें और आदेश स्पष्ट रूप से समझाता है ताकि तुम समझ से काम करो।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  अल्लाह ताला की आयतें पढ़ने से ग़ौर और फ़िक्र की जागृति होती है।
2️⃣  लोगों में बुद्धि और विचार के माध्यम से आयतो और आज्ञाओं को समझने की क्षमता होती है।
3️⃣  ग़ौर ओर फि़क्र इस्लाम के बुनियादी और सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक है।
4️⃣  ईश्वरीय आज्ञाएँ उसके ईश्वरीय स्वरूप की पहचान के चिन्ह हैं।


•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•
तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha