हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
نِسَاؤُكُمْ حَرْثٌ لَّكُمْ فَأْتُوا حَرْثَكُمْ أَنَّىٰ شِئْتُمْ وَقَدِّمُوا لِأَنفُسِكُمْ وَاتَّقُوا اللَّـهَ وَاعْلَمُوا أَنَّكُم مُّلَاقُوهُ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِينَ नेसाओकुम हरसुल लकुम फ़आतू हरसकुम अन्नी शेअतुम वा कद्दमू लेअंफ़ोसेकुम वत्तक़ूल्लाहा वाअलमू अन्नकुम मुलाक़ूहो वा बश्शिरिल मोमेनीना (बकरा, 223)
अनुवाद: आपकी महिलाएँ किसान हैं। (अतः) अपनी इच्छानुसार अपनी खेती में आओ। और अपने लिए (ईश्वर की उपस्थिति में) पहले से ही (कार्य) भेजो। और अल्लाह और ईमानवालों को शुभ सूचना दे दो।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ बांझ न होना एक विनम्र और उत्तम महिला की विशेषताओं में से एक है।
2️⃣ आत्मीयता का सबसे महत्वपूर्ण दर्शन जाति का प्रचार-प्रसार है।
3️⃣ पुरुष के यौन सुख में स्त्री के लिए पुरुष की आज्ञा का पालन आवश्यक है।
4️⃣ नेक कामों को पहले से भेजना और उन्हें आख़िरत के लिए जमा करना ज़रूरी है।
5️⃣ व्यक्ति के अच्छे या बुरे भाग्य में और अंत में उसके वैवाहिक जीवन की स्थितियाँ ही प्रभावी होती हैं।
6️⃣ अच्छी और नेक संतान पैदा करने के लिए पत्नी की पसंद पर विचार करना और संभोग के तौर-तरीकों का ध्यान रखना जरूरी है।
7️⃣ बच्चे वैवाहिक जीवन का फल हैं।
8️⃣ पति-पत्नी के रिश्ते में पवित्रता का पालन करना जरूरी है।
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा