۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
کربلا

हौज़ा / जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी वह हैं जिन्होंने सात मासूमों (पैगंबर (स), हज़रत फातिमा (अ), अमीर अल-मोमेनीन (अ), इमाम हसन (अ), इमाम हुसैन (अ), इमाम सज्जाद (अ) और इमाम बाकिर (अ)) को दरक किया और उनके वज़ूद से फ़ैज हासिल किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अरबईन इमाम हुसैन (अ) के दिन चल रहे हैं और ज़ाएरीन कर्बला की ओर बढ़ रहे हैं। इस ज़ियारत के सवाब का अनुमान लगाना भी असम्भव है। अरबईन को ध्यान मे रखते हुए मारफ़ते अरबईन नाम से एक श्रृंखला शुरू की जा रही है जिसमें अरबईन से संबंधित विभिन्न सवालों के जवाब दिए जाएंगे।

प्रश्न: इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पहला ज़ायर कौन था?

उत्तर: शेख तूसी के पुत्र शेख अबू अली के शिष्य शेख अबू कासिम तबरी आमोली, जो एक बहुत बड़े धार्मिक विद्वान थे, ने अपनी पुस्तक में इमाम हुसैन के पहले ज़ायर के बारे में लिखा है, कि हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी और अतिया कूफ़ी इमाम हुसैन (अ.स.) के पहले ज़ायर थे।

जाबिर बिन अब्दुल्ला बिन अमरू बिन हराम बिन काब बिन ग़नम बिन सलमा , पैगंबर (स) के सहाबी थे जिन्होंने हदीसे लोह सुनाई, वह हदीस जिसमें पैगबंर (स) की जबाने मुबारक से इमामों के नामों का उल्लेख किया गया हैै।

इसी तरह, उन्होंने "हदीसे ग़दीर", "हदीसे सकलैन" और "हदीसे शहरे इल्म" आदि जैसी प्रसिद्ध शिया हदीसों को भी नकल किया है।

अतिया कूफ़ी कौन है?

अतिया को कुछ लोगों ने जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी का गुलाम कहा है, लेकिन यह सच नहीं है, बल्कि वह बुज़र्ग शिया रावीयो में से एक थे और मुफस्सिरे क़ुरआन और मोहद्दिस थे।

उन्होंने फदक हड़पने के समय हज़रत ज़हरा (स) द्वारा दिया गया खुत्बा सुना और लिखा।

अरबईन के मौके पर अतिया मदीना में थे और जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी के साथ तीर्थयात्रा के लिए कर्बला गए और वापस लौटने पर जाबिर को कूफ़ा में अपने घर पर आमंत्रित किया।

कुछ सुन्नियों ने अतिया की क्यो तज़ईफ की?

दुर्भाग्य से ज़हबी और उनसे पहले अहमद बिन हनबल और नेसाई जैसे कुछ लोगों ने अतिया की हदीसी स्थिति को कमजोर माना है और उसे प्रमाणिकता से वंचित कर दिया है। (सैर आलाम अल बला, भाग 5, पेज 325; मीजान अल-एतेदाल, भाग 3, पेज 80)।

आतिया को ज़ईफ घोषित करने का कारण क्या है?

जाहिरी रूप से दो चीजें हैं जो उन्हें ज़ईफ़ घोषित करने का एक कारण हो सकती हैं: (1) जनाबे अतिया का शिया और विलायत मदार होना (2) अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) का अफ़ज़ल और आलम होने के प्रति आश्वस्त होना )।

जनाब अतिया के जीवन का एक और बिंदु जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है वह यह है कि हमें जनाब अतिया को हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी का गुलाम कहे जाने का कोई विश्वसनीय संदर्भ नहीं मिला है।

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