हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत इमाम अली अ.स. फ़रमाते हैं: ऐ कुमैल! किसी भी हाल में हक़ बोलने से पीछे मत हटो, परहेज़गार और मुत्तक़ी लोगों से दोस्ती रखो, फ़ासिक़ और गुनहगारों से दूर रहो, मुनाफ़िक़ों की मक्कारी और धोखेबाज़ी से डरते रहो, और ख़यानत करने वालों से दोस्ती मत करो।अब आइए ज़िंदगी के इन पांच अहम उसूलों को थोड़ा विस्तार से बयान करते हैं:
पहला उसूल: सारी ज़िंदगी हक़ का साथ दो; चाहे मुसीबत का समय हो या फिर आसानी का, चाहे तुम सत्ता में हो चाहे एक आम रिआया की तरह ज़िंदगी गुज़ार रहे हो, हालात चाहे जैसे हों तुम हर परिस्तिथि में केवल हक़ बोलो और हक़ सुनो।
दूसरा उसूल: परहेज़गार और मुत्तक़ी लोगों से दोस्ती रखो क्योंकि यही परहेज़गार और मुत्तक़ी लोग ही ऐसे हैं जो केवल अल्लाह की मर्ज़ी और उसकी ख़ुशी के लिए तुमसे दोस्ती रखेंगे और कठिन से कठिन परिस्थिति में तुम्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे, और इनसे दोस्ती का सबसे अहम फ़ायदा यह है कि यह लोग तुम्हें गुनाह करने से रोकेंगे।
ज़ाहिर सी बात है कि हर इंसान जानता है कि गुनाह एक गंदगी का दलदल है जिसमें फंसने के बाद इंसान का बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है, इसलिए ऐसे लोगों का साथ ज़रूरी है जो उस दलदल में धंसने से पहले ही होशियार और ख़बरदार कर दें।
तीसरा उसूल: गुनाहगारों से दोस्ती मत करो, क्योंकि वह तुम्हें और तुम्हारे ख़ानदान को गुनाह की गंदगी से नजिस कर देंगे इसलिए अपनी और अपने ख़ानदान की हिफ़ाज़त के लिए गुनाहगारों से दोस्ती मत करो।
आज के दौर में अधिकतर लोगों की शिकायत यही होती है कि क्या करें ग़लत संगत में फंस गए थे, बुरी सोहबत में आ गए थे, इसीलिए ज़रूरी है कि ज़िंदगी के हर पल और हर घड़ी में ऐसी संगत और सोहबत का ध्यान रहे ताकि बाद में पछतावे की नौबत न आए।
चौथा उसूल: इमाम अली अ.स. ने फ़ासिक़ों से दूरी बनाने का हुक्म दिया है और मुनाफ़िक़ों से होशियार रहने के लिए कहा है, यह इस वजह से कि मुनाफ़िक़ हर समाज में पाए जाते हैं उन्हें समाज से अलग करना मुश्किल है इसलिए उनकी मक्कारी और चालबाज़ी से होशियार रहना चाहिए।
आप सभी जानते हैं कि यह मुनाफ़िक़ वह लोग हैं जिन्होंने इस्लाम को सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुंचाया है, यह अपने थोड़े से निजी फ़ायदे के चलते जब दीन को धोखा दे सकते हैं तो सोचिए इंसानों पर कैसे रहम कर सकते हैं।
पांचवां उसूल: ख़यानत करने वाला शख़्स दोस्ती के लायक़ नहीं होता।अगर आपने ध्यान दिया हो तो आपने आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो रहते तो लोगों के आसपास हैं जो बातें तो हमदर्दी की करते हैं लेकिन हक़ीक़त में वह घात लगाकर बैठे होते हैं ताकि कब मौक़ा मिले जब वह आपके साथ ख़यानत कर सकें, ज़ाहिर है उस समय आप उनकी ख़यानत से ख़ुद को नहीं बचा सकते इसलिए पहले से ही होशियार रहिए और उनसे दोस्ती बिल्कुल भी मत कीजिए।
(बिहारुल अनवार, जिल्द 74, पेज 413)
अगर इमाम के इस बयान पर अमल किया जाए तो समाज में बहुत से बदलाव देखे जा सकते हैं और समाज सुधार की तरफ़ बढ़ता दिखाई देगा।