हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हम कोशिश करें, घटनाओं की शेनाख़्त के वक़्त अपनी समीक्षाओं व टिप्पणियों में ग़लती का शिकार न हों।
यह समझ लें कि अमरीका और ज़ायोनीवाद, इस्लामी जगत के दुश्मनों में हैं, ज़ालिम हुकूमतों के शासक इस्लामी जगत के दुश्मनों में हैं, अगर हम देखें कि एक जगह पर वे सब एक ही रुख़ पर चल रहे हैं तो जान लें कि वह असत्य का रास्ता है, ग़लत राह है, अपनी समीक्षाओं में ग़लती न करें।
इन लोगों के दिल में मुसलमान क़ौमों के लिए ज़रा भी हमदर्दी नहीं है, जहाँ तक भी मुमकिन हो ख़राबियां पैदा करते और राहों में कांटे बिछाते हैं। आज यही हंगामे जिसके पीछे वे हैं,
अगरचे कभी कभी कुछ जाहिल व ग़ाफ़िल लोगों की ज़बानों से भी यही बातें दोहराई जाती हैं और ये लोग धार्मिक मतभेद, जातीय मतभेद और नस्ली व भाषाई मतभेद को बढ़ा चढ़ा कर पेश करते हैं जबकि इस्लाम में इनकी कोई हैसियत नहीं है।
बेशक अल्लाह के नज़दीक तुम में से ज़्यादा मोअज़्ज़ज़ व मोकर्रम वह है जो तुम में ज़्यादा परहेज़गार है।” (सूरए हुजरात, आयत-13) सबके सब एक जैसे और आपस में भाई भाई हैं, हम सबको होशियार रहना चाहिए। जागरुक होना चाहिए, अपनी आँखें खुली रखें, समीक्षाओं में ग़लती का शिकार न हो,
इमाम ख़ामेनेई,