۱۵ مهر ۱۴۰۳ |۲ ربیع‌الثانی ۱۴۴۶ | Oct 6, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा |अगर सूदखोर अपने किए पर पश्चाताप नहीं करते तो उनके पास मूल पूंजी भी नहीं होती। इस्लामी आर्थिक व्यवस्था का आधार न्याय है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
فَإِن لَّمْ تَفْعَلُوا فَأْذَنُوا بِحَرْبٍ مِّنَ اللَّـهِ وَرَسُولِهِ ۖ وَإِن تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُءُوسُ أَمْوَالِكُمْ لَا تَظْلِمُونَ وَلَا تُظْلَمُونَ  फइल लम तफ्अलू फ़ाज़नू बेहरबिम मिनल्लाहे वा रसूलेही वा इन तुबतुम फ़लकुम रऊसो अमवालेकुम ला तज़लेमूना वला तुज़लेमूना (बकरा, 279)

अनुवाद: लेकिन यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो ईश्वर और उसके रसूल से लड़ने के लिए तैयार हो जाओ। और यदि तुम अब भी पछताओगे। तो आपकी वास्तविक संपत्ति आपकी होगी (जो आपको मिलेगी)। तुम किसी पर अत्याचार नहीं करोगे और तुम पर अत्याचार नहीं किया जाएगा ।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  सूदखोरों के खिलाफ ईश्वर और अल्लाह के रसूल (स) का महान युद्ध।
2️⃣  सूदखोरी महापाप है।
3️⃣  सूदखोरों के लिए अपने बुरे चरित्र से पश्चाताप करने का द्वार खुला है।
4️⃣  यदि सूदखोर अपने किये पर पश्चाताप नहीं करते तो वे मूल पूंजी के स्वामी नहीं होते।
5️⃣  इस्लाम की आर्थिक व्यवस्था का आधार न्याय है।


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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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