۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / पाखंडीयो का इस्लाम का दिखावा करने का लक्ष्य मुसलमानों और विश्वासियों के समुदाय का मज़ाक उड़ाना है। पैगंबर (स) की बेसत के समय, पाखंड के आंदोलन के नेता इस्लाम के प्रति अपने अनुयायियों के आकर्षण के बारे में चिंतित थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्राहीम
وَإِذَا لَقُواْ الَّذِينَ آمَنُواْ قَالُواْ آمَنَّا وَإِذَا خَلَوْاْ إِلَى شَيَاطِينِهِمْ قَالُواْ إِنَّا مَعَكْمْ إِنَّمَا نَحْنُ مُسْتَهْزِؤُونَ   वा इज़ा लक़ुल्लजीना आमनू क़ालू आमन्ना वइज़ा ख़लौ इला शयातीनेहिम क़ालू इन्ना मआकुम इन्नमा नहनो मुस्तहतेऊन। (बक़रा 14)

अनुवादः ये ईमानवाले जब मिलते हैं तो कहते हैं कि हम ईमान ले आए हैं और जब अपने दरिंदों के ठिकाने में जाते हैं तो कहते हैं कि हम आपकी जमाअत में हैं। हम तो केवल ईमान वालो का मज़ाक़ उड़ाते है।

📕क़ुरआन की तफसीर 📕

1️⃣   पाखंड़ी जब मोमिनों में होते हैं तो ईमान का इज़हार करते हैं और ख़ुद को मुसलमान साबित करने की कोशिश करते हैं।
2️⃣   इस्लाम के प्रारम्भिक पाखंडी अपने मुखियाओं और नेताओं के साथ गुप्त बैठकें करते थे ताकि इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ साजिशें तैयार की जा सकें।
3️⃣   पाखंडियों के गुरु या नेता षड्यंत्र रचने वाले दुष्ट और शैतान के समान होते हैं।
4️⃣   पाखंडियों का इस्लाम जाहिर करने का लक्ष्य मुसलमानों और धार्मिक समाज का मजाक उड़ाना है।
5️⃣   ईश्वर के रसूल (स) की बेसत के समय पाखंड के आंदोलन के नेता इस्लाम के प्रति अपने अनुयायियों के आकर्षण को लेकर चिंतित थे।
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📚 तफसीरे राहनुमा, सूरा ए बकरा
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