हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सू ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
فَإِذَا قَضَيْتُم مَّنَاسِكَكُمْ فَاذْكُرُوا اللَّـهَ كَذِكْرِكُمْ آبَاءَكُمْ أَوْ أَشَدَّ ذِكْرًا ۗ فَمِنَ النَّاسِ مَن يَقُولُ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا وَمَا لَهُ فِي الْآخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ फ़इजा क़ज़एतुम मनासेककुम फ़ज़कोरुल्लाहा कज़िकरेकुम आबाअकुम औ अश्द्दा जिकरन फमिन्नासे मय यक़ूलो रब्बना आतेना फ़िद दुनिया वमा लहू फिल आख़ेरते मिन खलाक (बकरा, 200)
अनुवाद: जब आपने हज के अपने अनुष्ठान (और उसके कार्य और भाग) पूरे कर लिए हों। फिर अल्लाह को उसी तरह याद करो जैसे तुम अपने बाप-दादाओं को याद करते थे, बल्कि उससे भी ज़्यादा ख़ुदा को याद करो। हमें (हमें जो कुछ भी देना है) इस लोक में ही दे दो. ऐसे व्यक्ति का परलोक में कोई हिस्सा नहीं है.
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ हज की रस्मों के बाद पुरखों को मनाना जाहिलिया युग का एक तरीका है।
2️⃣ दुआ के शिष्टाचार में से एक है ईश्वर की प्रभुता पर विशेष ध्यान देना।
3️⃣ सांसारिक लोग सांसारिक संसाधनों और उसके लाभ की चाह में ही सौन्दर्य मानते हैं।
4️⃣ इस दुनिया के तालिब आख़िरत की नेमतों से महरूम रह जायेंगे।
5️⃣ सर्वशक्तिमान ईश्वर से दुआ और अनुरोध करने का उल्लेख किया गया है।
•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•
तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा