۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | पवित्र कुरान लोगों का मार्गदर्शन करने के मामले में सही और गलत को अलग करता है। ईश्वरीय निशानीयो को झुठलाना काफ़िरों पर अल्लाह तआला की कड़ी यातना कारण है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم     बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
مِن قَبْلُ هُدًى لِّلنَّاسِ وَأَنزَلَ الْفُرْقَانَ ۗ إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا بِآيَاتِ اللَّـهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ ۗ وَاللَّـهُ عَزِيزٌ ذُو انتِقَامٍ  मिन क़ब्लो हुदल लिन नासे वा अंज़लल फ़ुरक़ाना इन्ननल लज़ीना कफ़रू बेआयातिल लाहे लहुम अज़ाबुन शदीद वल्लाहो अज़ीज़ुन ज़ुन तेक़ाम  (आले-इमरान, 4)

अनुवाद: और उसने लोगों के मार्गदर्शन के लिए तौरात और इंजील (बाइबिल) को नाजिल किया। और सही और ग़लत का निर्णायक शब्द भेजा। वास्तव में, जो लोग ईश्वर की आयतों को झुठलाते हैं। उनके लिए कड़ी सज़ा है। ईश्वर शक्तिशाली है (और बुराई का बदला लेने वाला है)।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ हर युग में लोगों के लिए ईश्वरीय मार्गदर्शन का कार्यक्रम रहा है।
2️⃣ आसमानी किताबों के अवतरण का मुख्य दर्शन मनुष्य का मार्गदर्शन है।
3️⃣ पवित्र कुरान इंसान के मार्गदर्शन के संबंध में सही और गलत को अलग करता है।
4️⃣ अल्लाह की आयतों को झुठलाना काफ़िरों पर अल्लाह तआला की कड़ी यातना का कारण है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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