हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर ने फरमाया,हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.ल.की मद्ह में क़ुरआन में 'सूराह हलआता आयते तत्हीर, आयते-मुबहिला में हैं यह आयतें हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.ल.के बारे में हैं और ऐसी कई आयतें हैं जो इनकी तरफ़ इशारा करतीं हैं।
यह जो सूरा-हल-अता में अल्लाह हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) और इनके ख़ानदान का ज़िक्र कर रहा है, ये बहुत अहम है।
यह एक परचम है जिसे क़ुरआन ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.ल. के दरवाज़े पर लहराया है। अल्लाह के लिए काम इख़्लास, बे-लौस ख़िदमत, किसकी? यतीम, फ़क़ीर और असीर की? तो क्या ये असीर मुसलमान था?
इसका बहुत कम इम्कान है कि उस वक़्त कोई असीर मुसलमान ना हो, बग़ैर अहसान जताए ख़िदमत, ये दर्से-फ़ातमी है, ये हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) का परचम है।
आपकी टिप्पणी