हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तू तू मैं मैं मित्रता को नष्ट कर देती है
اَلْمِراءُ يُفْسِدُ الصَّداقَةَ الْقَديمةَ وَ يُحِلُّ الْعُقْدَةَ الْوَثيقَةَ وَ اَقَلُّ مافيهِ اَنْتَـكونَ فيهِ الْمُغالَبَةُ وَ الْمُغالَبَةُ أمتَنُ اَسْبابِ الْقَطيعَةِ۔ अलमेराओ युफसेदुस सदाक़ता अल क़दीमता वा योहिल्लुल उक़दतल वसीक़ता व अक़ल्लो मा फ़ीहिल मुग़लबतो वल मुगलबतो अमतनुन असबाबिल कतीअते
इमाम अली नक़ी (अ) फरमाते हैं:
बहुत अधिक बहस करना लंबी दोस्ती को नष्ट कर देता है और मजबूत रिश्तों को नष्ट कर देता है, और बहस करने का सबसे कम प्रभाव यह होता है कि प्रत्येक पक्ष दूसरे पर जीत हासिल करना चाहता है, और यही रिश्तों के टूटने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।
संक्षिप्त विवरण
1- हर रिश्ते की बुनियाद एक-दूसरे का सम्मान करने में निहित है।
2- जब तक एक-दूसरे के प्रति सम्मान न हो, दोस्ती सच्ची नहीं होती और ऐसी दोस्ती लंबे समय तक नहीं टिकती।
3- बहुत अधिक और अनावश्यक चर्चा, पुराने, प्राचीन, लंबे समय तक चलने वाले और मजबूत रिश्तों को क्षणों में नष्ट कर देती है।
4- आदर, सम्मान, क्षमा और निस्वार्थता के माध्यम से मित्रता, रिश्ते और संपर्क को हमेशा के लिए बनाए रखा जा सकता है।
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नुज़हातुन नाज़िर, पेज 139, हदीस 11