۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
کرمان

हौज़ा/अदीब उल हिंदी सोसायटी लखनऊ, ने एक बयान जारी करके ईरान के शहर किरमान में पासबान-ए-हरम शहीद आली क़द्र जनरल क़ासिम सुलेमानी रहमतुल्लाह के मरक़दे मुबारक के क़रीब हुए बम धमाके पर एक निंदनीय बयान जारी करते हुए दुख व्यक्त किया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ,अदीब उल हिंदी सोसायटी लखनऊ, ने एक बयान जारी करके ईरान के शहर किरमान में पासबान-ए-हरम शहीद आली क़द्र जनरल क़ासिम सुलेमानी रहमतुल्लाह के मरक़दे मुबारक के क़रीब हुए बम धमाके पर एक निंदनीय बयान जारी करते हुए दुख व्यक्त किया हैं।

आप कह दीजिए के जो शख़्स गुमराही में पड़ा रहेगा ख़ुदा उसे और ढील देता रहेगा यहां तक के वोह वादा-ए-इलाही को देख लें, या अज़ाब की या क़यामत की शक्ल में, फिर उन्हें मालूम हो जायेगा के जगह के ऐतेबार से बदतरीन और मददगारों के ऐतेबार से कमज़ोर तरीन कौन है|
(सूरह मरयम, आयत 75)

अफ़सोस नाक ख़बर मौसूल हुई के ईरान के शहर किरमान में पासबान-ए-हरम शहीद आली क़द्र जनरल क़ासिम सुलेमानी रहमतुल्लाह अलैह के मरक़दे मुबारक के क़रीब बम धमाका हुआ, जिसमें १०० से ज़्यादा मोमिनीन शहीद और ज़ख़्मी हो गाए

क़ुरान-ए-करीम ने शहीद-ए-राहे ख़ुदा की ज़िंदगी का ऐलान किया है यानी शहीद ना जिस्म के क़त्ल होने से ख़त्म होता है और ना ही उसके मरक़द को मिटाने से वोह मिटता है बल्कि उसकी शख़्सियत, उसका किरदार आफ़ाक़ पर छा जाता है|

हम दुशमन के इस बुज़दिलाना इक़दाम और दहशतगर्दाना हमले की पुरज़ोर मज़म्मत करते हैं, ज़ख़्मियों की शिफ़ायाबी और शोहदा के उलूवे दरजात की बारगाह-ए-ख़ुदा में दुआ करते हुए उनके पसमंदगान की ख़िदमत में ताज़ियत पेश करते हैं।

मोमिनीन इकराम से ज़ख़्मियों की शिफ़ायाबी के लिये दुआ और शहीदा के उलूवे दरजात के लिये सूरा-ए-फ़ातिहा की गुज़ारिश है|

वस्सलाम,
मुस्तफ़ा अली ख़ान,
सदर अदीब उल हिंदी सोसायटी लखनऊ

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