हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक 9 बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|
अशरा-ए-मजालिस की चौथी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान ने फ़रमाया: इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने बचपन के दोस्त हज़रत हबीब बिन मज़ाहिर अलैहिस्सलाम को ख़त भेज कर करबला बुलाया, हज़रत हबीब अलैहिस्सलाम एक आलिम ओ फ़क़ीह थे, इमाम आली मक़ाम ने उन्हें दावत दे कर रहती दुनिया तक फ़क़ीह और फ़क़ाहत की शान को ज़ाहिर कर दिया और बता दिया के हक़ की तहरीक चलानी है तो फ़क़ीह को अहमियत दो क्योंकि के कलामे मासूम का इदराक जैसा फ़क़ीह कर सकता है वैसा कोई और नहीं कर सकता|
मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान ने इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की हदीस को बयान करते हुए फ़रमाया के अस्र-ए-ग़ैबत में हमारा शरफ़ और फ़ख़्र ओलमा ओ फ़ोक़हा हैं जो तहफ़्फ़ुज़ ओ तबलीग़-ए-दीन में अपनी उमरें गुज़ार देते और गुज़ार रहे हैं, इस्तेमार की रची सारी साज़िशों को अयातुल्लाह अल उज़मा मीरजा़ मोहम्मद हसन शीराज़ी रहमतुल्लाह अलैह ने तम्बाकू को हराम होने का फ़तवा देकर नाकाम कर दिया और इस्तेमार की नींदें उड़ा दीं, अगर हम चाहते हैं के हमारा दीन महफ़ूज़ रहे तो हमें चाहिये के फ़ोक़हा का एहतेराम करें और उनकी नसीहतों पर अमल करें, क्योंकि अस्र-ए-ग़ैबत में फ़ोक़हा इमामे मासूम के नायब-ए-आम और दीन के मुहाफ़िज़ हैं|
आख़िर में मौलाना ने जनाबे हबीब बिन मज़ाहिर अलैहिस्सलाम के मसायब बयान किये|