हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भी बेन हरमैन में अपनी पुरानी परंपराओं के साथ सब्रो वफ़ा का जश्न मनाया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान के प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की।
जनाब नदीम अब्बास ने क़ुरआन की तिलावत के माध्यम से जश्न की शुरुआत की।
जश्न में भारत के वरिष्ठ धार्मिक विद्वान मौलाना शमीमुल हसन साहब क़िबला वकील आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की क्रांति पर प्रकाश डाला।
बाद में, अशआरा का सिलसिला शुरू हुआ और अहले-बैत के दो युवा प्रशंसक श्री हुसैन अली और श्री अली जाफ़री के साथ-साथ अहले-बैत के कवि श्री अज़ादार आज़मी, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद नदीम ने प्रशंसा के साथ विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का दिल मोह लिया।
आयतुल्लाहिल उज़्मा अल-शेख बशीर नजफ़ी के बेटे हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन के शेख अली नजफ़ी ने भी जश्न में भाग लिया और सभा को संबोधित किया। उन्होंने इमाम हुसैन (अ) की जियारत की फ़ज़ीलत और अहमियत पर विस्तार से चर्चा की।
याद रहे कि भारत और पाकिस्तान के मशहूर शायरों ने अपने कलामों से मोमिनों के दिलों को रोशन कर दिया और मोमिनों ने भी शायरों के कलाम की सराहना की।
महफिल के अंत में मौलाना तनवीर अब्बास ने दुआ फ़रज पढ़कर महफिल को खत्म किया।
बता दें कि कार्यक्रम की सारी साज-सज्जा और व्यवस्था मौलाना सैयद अली जमान जाफरी ने की थी।
श्री अज़मत हैदर ने चितौरा यूट्यूब चैनल से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया और श्री मौअजिज़ हुसैन ने अपने फोटोग्राफी के कौशल दिखाए।