हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "अलग़ैबा" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
مَن سَرَّهُ أنْ يَكونَ مِن أصحابِ القائِمِ فَليَنتَظِر وَ لْيَعَمل بِالوَرَعِ
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जो चाहता है कि वह इमाम महदी (अ) के असहाब मे से हो, उसे इमाम का इंतेज़ार करते हुए तक़वा इख्तियार करना चाहिए।
अलग़ैबा नौमानी, पेज 200