हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस रिवायत को "तहज़ीबुल अहकाम" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الإمامُ الصّادقُ عليه السلام
مَنْ زَارَهُ كَانَ اللَّهُ لَهُ مِنْ وَرَاءِ حَوَائِجِهِ وَ كَفَى مَا أَهَمَّهُ مِنْ أَمْرِ دُنْيَاهُ وَ إِنَّهُ يَجْلِبُ الرِّزْقَ عَلَى الْعَبْدِ وَ يُخْلِفُ عَلَيْهِ مَا يُنْفِقُ
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जो आदमी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत करता है तो अल्लाह तआला उसकी हाजात को पूरा करता है और दुनिया में जिस चीज़ की ज़रूरत होती है उसको अल्लाह तआला प्रदान करता हैं, और अपने बंदे के रिज़्क और रोज़ी में वृद्धि करता है और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के लिए वह जो कुछ खर्च करता है उसे वापस पलटा देता है।
तहज़ीबुल अहकाम,भाग 6,पेंज 45