۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / इस्लाम के अलावा कोई और धर्म चुनना अल्लाह को मंजूर नहीं है। अल्लाह के सामने समर्पण के अलावा कोई भी रास्ता अपनाना अल्लाह को स्वीकार्य नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الْآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ  वा मन यबतग़े ग़ैरल इस्लामे दीनन फलन युक़बला मिन्हो व होवा फ़िल आख़ेरते मिनल ख़ासेरीन (आले इमरान, 85)।

अनुवाद: और जो कोई इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म अपनाएगा, उसका धर्म कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा और वह आख़िरत में घाटा उठाने वालों में से होगा।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ इस्लाम के अलावा कोई भी धर्म चुनना अल्लाह को स्वीकार्य नहीं है।
2️⃣ अल्लाह के सामने समर्पण के अलावा कोई भी रास्ता अपनाना अल्लाह को मंजूर नहीं है।
3️⃣ इस्लाम एकमात्र ऐसा धर्म है जो सार्वभौमिक है।
4️⃣ इस्लाम पिछले सभी कानूनों को निरस्त करने वाला है।
5️⃣ मुसलमानों को खुशी और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और वे परलोक से सुरक्षित रहते हैं।
6️⃣ इसके बाद, विश्वासों और कार्यों के परिणामों की सच्ची अभिव्यक्ति का क्षेत्र।
7️⃣ अल्लाह के सामने समर्पण करना और इस्लाम धर्म अपनाना मानवीय दूरदर्शिता का परिणाम है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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