हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल : रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना कैसा हैं?
उत्तर: रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना जबकि उसका मज़ा या बू हल्क तक पहुंचे तो मकरूह हैं।
![रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना कैसा हैं? रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना कैसा हैं?](https://media.hawzahnews.com/d/2024/04/02/4/2160954.jpg?ts=1712074935000)
हौज़ा / रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना जबकि उसका मज़ा या बू हल्क तक पहुंचे तो मकरूह हैं।
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शरई अहकाम:
अगर इंसान ना जानता हो कि वह मुजनिब है और नमाज़ व रोज़ा अंजाम दे रहा हो फिर कुछ दिन बाद मालूम हो जाए कि वह जनाबत की हालत में नमाज़ रोज़ा अंजाम दे रहा था तो उस सूरत में उसका क्या फरीज़ा हैं?
हौज़ा/ उसे सूरत में उसके रोज़े सही है मगर नमाज़ों की कज़ा करेगा,
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शरई अहकाम:
रोज़े की हालत में नाक में दवा डालने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / नाक में दवा डालना मकरूह हैं,अगर यह न जानता हो कि हल्क तक पहुंचेगी, और अगर यह जानता हो की हालत तक पहुंचेगी तो उसका इस्तेमाल करना जायज़ नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
रोज़े की हालत में सिगरेट का धुआं और तंबाकू की गर्द हल्क तक पहुंचाना कैसा है?
हौज़ा / एहतियाते वाजिब यह हैं कि रोज़ेदार सिगरेट और तंबाकू वगैरा का धुआं भी हालात तक न पहुंचाए
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शरई अहकम:
किसी की नियाबत में नमाज़ पढ़ना और रोज़ा रखना
हौज़ा/नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं हैं, लेकिन अगर वह रोज़े में अजीर हो तो कोई हरज नहीं, लेकिन अगर वह उज्रत के बिना किसी मुआवज़े के (मुफ्त में) अदा करे…
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रोज़े की हालत में दांत निकलवाना और तर लकड़ी से ब्रश करना कैसा हैं?
हौज़ा / रोज़े की हालत में दांत निकलवाना और हर वह काम करना जिसकी वजह से मुंह से खून निकले और तर लकड़ी से ब्रश करना मकरूह हैं।
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शरई अहकाम । मजलिस में तमाम लोगों को सलाम करना
हौज़ा/सलाम करना हर हाल में अपने आप में मुस्तहब हैं, (और सवाल के मसले में एक आदमी का जवाब देना काफी होता हैं) और ऐसे आदमी को सलाम करना जो नमाज़ की हालत…
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शरीयत में रोज़े से क्या मुराद हैं?
हौज़ा / शरीयत इस्लाम में रोज़े से मुराद हैं, अल्लाह तआला की रज़ा और इज़हारे बंदगी के लिए इंसान आज़ान सुबह से मगरिब तक उन चीजों से दूरी अख्तियार करें जो…
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शरई अहकामः
कब्र पर हज़रत अब्बास (अ) का अलम लगाना
हौज़ा / नजफ़ अशरफ़ के प्रसिद्ध आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज बशीर हुसैन नजफ़ी ने हज़रत अब्बास (अ) की कब्र पर अलम लगाने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया…
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शरई अहकाम:
जिसके ऊपर ग़ुस्ल मसे मैय्यत वाजिब हो क्या वह बिना गुस्ल किए रोज़ा रख सकता हैं?
हौज़ा / जिस शख्स ने मैय्यत को मस किया हो,यानी अपने बदन का कोई हिस्सा मैय्यत के बदन से छुआ हो)वह ग़ुस्ल मसे मैय्यत के बगैर रोज़ा रख सकता है और अगर रोज़े…
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रोज़े के अहकाम:
रोज़े की हालत में दांतो की सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाले धागा का क्या हुक्म है जिसमें फ्लोराइड और पुदीने का मजा आता हैं
हौज़ा/अगर मुंह का पानी (थूक) हलक में ना जाए तो कोई हर्ज नहीं हैं।
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धार्मिक विद्वान और चिकित्सक, समाज में अहम भूमिका निभाते हैं: हुज्जतुल इस्लाम सैयद अबुल कासिम रिजवी
हौज़ा / मेलबर्न के इमाम जुमा ने कहा: धार्मिक विद्वान और डॉक्टर की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक शरीर का डॉक्टर होता है और दूसरा आत्मा का डॉक्टर…
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ज़िबह शुदहा जानवर के पेट में मौजूद बच्चे का हलाल होना:
अगर हमें जानवर को ज़िबह करने के बाद पता चले कि उसके पेट में बच्चा था और मुर्दा हालत में उसके पेट से निकले तो क्या यह बच्चा हलाल होगा?
हौज़ा/अगर जानवर के बच्चे की पैदाइश मुकम्मल हो गई हो यानी उसके बदन में बाल या ऊन उग चुकी हो तो वह हलाल हैं बाकी दूसरी सूरत में हलाल नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
क्या आज के लोकप्रिय खेलों जैसे फुटबॉल क्रिकेट आदि पर शर्त लगाया जा सकता है?
हौज़ा/ शर्त लगाना सिर्फ तीरंदाजी और घुड़सवारी और आजकल की जंगी तैयारीयों में जायज हैं।
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