हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल: अगर किसी मजलिस में,जैसे कि मस्जिद या इमामबारगाह में जाएं तो सब लोग कुरआन की करआत या नमाज़ में मसरूफ होते हैं क्या इन्हें सलाम करना मुस्तहाब हैं।
उत्तर: सलाम करना हर हाल में अपने आप में मुस्ताहब हैं, (और सवाल के मसले में एक आदमी का जवाब देना काफी होता हैं,) और ऐसे आदमी को सलाम करना जो नमाज़ की हालत में हो, मकरूह हैं।
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समाचार कोड: 383828
5 सितंबर 2022 - 09:15
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हौज़ा/सलाम करना हर हाल में अपने आप में मुस्तहब हैं, (और सवाल के मसले में एक आदमी का जवाब देना काफी होता हैं) और ऐसे आदमी को सलाम करना जो नमाज़ की हालत में हो मकरूह हैं।