रविवार 31 मार्च 2024 - 12:00
जिसके ऊपर ग़ुस्ल मसे मैय्यत वाजिब हो क्या वह बिना गुस्ल किए रोज़ा रख सकता हैं?

हौज़ा / जिस शख्स ने मैय्यत को मस किया हो,यानी अपने बदन का कोई हिस्सा मैय्यत के बदन से छुआ हो)वह ग़ुस्ल मसे मैय्यत के बगैर रोज़ा रख सकता है और अगर रोज़े की हालत में भी मैय्यत को मस करें तो उसका रोज़ा बातिल नहीं होता।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल : जिसके ऊपर ग़ुस्ल मसे मैय्यत वाजिब हो क्या वह बिना गुस्ल किए रोज़ा रख सकता हैं?

जवाब : जिस शख्स ने मैय्यत को मस किया हो,यानी अपने बदन का कोई हिस्सा मैय्यत के बदन से छुआ हो)वह ग़ुस्ल मसे मैय्यत के बगैर रोज़ा रख सकता है और अगर रोज़े की हालत में भी मैय्यत को मस करें तो उसका रोज़ा बातिल  नहीं होता।

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