۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / महशर के मैदान मे लोगों की हरकतें उनके चेहरे पर झलकेंगी। क़यामत के दिन धर्मत्यागियों को सज़ा और उनके चेहरों का काला पड़ना।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
يَوْمَ تَبْيَضُّ وُجُوهٌ وَتَسْوَدُّ وُجُوهٌ ۚ فَأَمَّا الَّذِينَ اسْوَدَّتْ وُجُوهُهُمْ أَكَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَانِكُمْ فَذُوقُوا الْعَذَابَ بِمَا كُنتُمْ تَكْفُرُونَ  यौमा तबयज़्ज़ो वुजूहुन व तसवद्दो वजूहुन फ़अम्मल लज़ीनस वद्दत वुजूहुम अकफ़रतुम बादा ईमानेकुम फ़ज़ूक़ुल अज़ाबा बेमा कुंतुम तकफोरून। (आले-इमरान, 106)

अनुवाद: वह दिन जिस दिन कुछ चेहरे उजले (उजाले) और कुछ चेहरे काले होंगे। तो जिन लोगों के चेहरे काले होंगे (उनसे कहा जाएगा) कि तुम्हीं ने ईमान लाने के बाद इनकार कर दिया? तो अब अपने अविश्वास के परिणामस्वरूप सज़ा का स्वाद चखें।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ महशर के मैदान में इंसानों की हरकतें उनके चेहरों से दिखाई जाएंगी।
2️⃣ क़यामत के दिन मुर्तदों को सज़ा और उनके चेहरे काले कर दिये जायेंगे।
3️⃣ आस्था के समाज में कलह एवं असहमति दैनिक दण्ड एवं अत्याचार की आवश्यकता है।
4️⃣ अल्लाह की नेमतों पर अविश्वास और कृतघ्नता ही कयामत के दिन विनाश का कारण है।
5️⃣ अल्लाह ताला की नेमतों का शुक्रगुजार होना ही कयामत के दिन चेहरे की चमक का कारण है।
6️⃣ इस्लामी समाज में कामी और विधर्मी लोग दिन-ब-दिन काले होते जायेंगे।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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