۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / अंधविश्वासों का पालन, निराधार विश्वास और भ्रामक शांति की भावना ऐसे कारक हैं जिन्होंने अहले किताब को इस्लाम से विमुख कर दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَالُوا لَن تَمَسَّنَا النَّارُ إِلَّا أَيَّامًا مَّعْدُودَاتٍ ۖ وَغَرَّهُمْ فِي دِينِهِم مَّا كَانُوا يَفْتَرُونَ  ज़ालेका बेअन्नहुम क़ालू लन तमस्सनन्नारो इल्ला अय्यामम मअदूदातिन व गर्रहुम फ़ी दीनेहिम मा कानू यफ़तरून। (आले-इमरान, 24)

अनुवाद: ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें यकीन है कि चंद दिनों की गिनती के अलावा जहन्नम की आग हमें छू नहीं पाएगी। ये वो लोग हैं जो बदनामी करते रहते हैं। उन्होंने उन्हें धर्म के विषय में धोखा दिया है।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अंधविश्वासों पर रोक, बेबुनियाद मान्यताएं और काल्पनिक शांति की भावना ऐसे कारक हैं जिनके कारण अहले किताब इस्लाम से विमुख हो गए।
2️⃣ मिथ्या व अन्धविश्वास व विचार ही गुमराही व धोखे का कारण हैं।
3️⃣ अहले किताब अपनी राष्ट्रीय और जातीय श्रेष्ठता में विश्वास करते हैं।
4️⃣ कुछ अहले किताब क़यामत के दिन सज़ा में भेदभाव के कायल थे।
5️⃣ धर्म में झूठ बोलना और विधर्म स्थापित करना किताब वालों का तरीक़ा है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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