۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / फ़िस्क़ से मनोबल गिरता है और युद्ध से भागना पड़ता है। दुश्मन की ताकत को बदनाम करना कुरान में विश्वासियों का मनोबल बढ़ाने का एक तरीका है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
لَن يَضُرُّوكُمْ إِلَّا أَذًى ۖ وَإِن يُقَاتِلُوكُمْ يُوَلُّوكُمُ الْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يُنصَرُونَ   लन यज़र्रोकुम इल्ला अज़ व इन योक़ातेलोकुम योवल्लूकुमुल अदबारा सुम्मा ला युबसरून (आले-इमरान, 111)

अनुवाद: छोटी-मोटी यातना के अलावा वे आपको कभी नुकसान नहीं पहुँचा सकते। और यदि वे तुमसे युद्ध करेंगे, तो तुमसे मुँह मोड़ लेंगे, फिर उन्हें (कहीं से भी) सहायता न मिलेगी।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अहले किताब (यहूदियों) का मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास।
2️⃣ अहले किताब मुसलमानों के ख़िलाफ़ आते हैं और उन्हें जंग की धमकी देते हैं।
3️⃣ मुसलमानों के ख़िलाफ़ आने और उनसे लड़ने का नतीजा यहूदियों की हार और पलायन है।
4️⃣ फ़िस्क़ से मनोबल गिरता है और युद्ध से भागना पड़ता है।
5️⃣ दुश्मन की ताकत को नगण्य बताना मोमिनों का मनोबल बढ़ाने का कुरान का तरीका है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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