मंगलवार 20 फ़रवरी 2024 - 09:04
दूसरों को गुमराह करने की कोशिश करना अपनी गुमराही को बढ़ाना है

हौज़ा / अहले  किताब  की ईमान वालों को गुमराह करने की कोशिश। ईमानवालों को गुमराह करने की काफ़िरों की कोशिशों के बारे में अल्लाह की चेतावनी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

 بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम 

وَدَّت طَّائِفَةٌ مِّنْ أَهْلِ الْكِتَابِ لَوْ يُضِلُّونَكُمْ وَمَا يُضِلُّونَ إِلَّا أَنفُسَهُمْ وَمَا يَشْعُرُونَ  वद्दत ताएफ़तुुम मिन अहलिल किताबे लौ योज़िललूनकुम वमा यौज़िल्लूना इल्ला अन्फ़ोसहुम वमा यश्अरून (आले-इमरान 69)

अनुवाद: अहले किताब का एक समूह चाहता है कि वे तुम्हें गुमराह कर सकें, हालाँकि वे अपने अलावा किसी को गुमराह नहीं करते हैं, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

क़ुरआन की तफ़सीर:

1️⃣ कुछ अहले किताब की कोशिश लोगों को गुमराह करने की है।

2️⃣ ईमानवालों को गुमराह करने की काफ़िरों की कोशिशों के बारे में अल्लाह की चेतावनी।

3️⃣ दूसरों को गुमराह करने की कोशिश करना खुद की गुमराही को बढ़ाना है।

4️⃣ जो लोग दूसरों को गुमराह करना चाहते हैं, वे अज्ञानता में अपना गुमराही बढ़ाते हैं।

•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•

तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha