हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قُلْ يَا أَهْلَ الْكِتَابِ لِمَ تَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ اللَّهِ مَنْ آمَنَ تَبْغُونَهَا عِوَجًا وَأَنتُمْ شُهَدَاءُ ۗ وَمَا اللَّهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ क़ुल या अहलल किताबे लेमा तसुद्दूना अन सबीलिल्लाहे मन आमना तबग़ूनहा एवजन वा अंतुम शोहादाओ वमल्लाहो बेग़ाफ़ेलिन अम्मा ताअलमून। (आले इमरान, 99)
अनुवाद: कहो. ऐ अहले किताब! आख़िर जो ईमान लाना चाहता है उसे ख़ुदा की राह से क्यों रोकते हो? और तुम इस मार्ग को टेढ़ा बनाना चाहते हो, यद्यपि तुम स्वयं गवाह हो (कि यह सीधा मार्ग है) और जो कुछ तुम करते हो, उससे ईश्वर अनभिज्ञ नहीं है।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ ईमान वालों को ईश्वर की राह से रोकने के लिए अहले किताब की फटकार।
2️⃣ अहले किताब द्वारा इस्लाम की प्रगति के रास्ते में रुकावटें डालना।
3️⃣ इस्लाम धर्म "सबील अल्लाह" है।
4️⃣ इस्लाम की तुलना में इस्लाम के मार्ग को पथभ्रष्ट बताना यहूदियों का एक तरीका है।
5️⃣ अहले किताब के विद्वानों को इस्लाम की प्रामाणिकता से पूरी तरह अवगत होना चाहिए।
6️⃣ इंसान के कार्यों के बारे में अल्लाह के ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करना इंसान को बुरे और घृणित कार्य करने से रोकता है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान