हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैं।
:قال امیرالمؤمنين علیه السلام
فالجُنودُ بإذْنِ اللّه ِحُصونُ الرَّعِيَّةِ و زَينُ الوُلاةِ و عِزُّ الدِّينِ وسُبُلُ الأمْنِ و ليسَ تقوم الرعیة الا بهم
हज़रत इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:
लश्कर और सिपाही अल्लाह ताला के अनुमति से लोगों की सुरक्षा, वालियों के लिए इज्जत, दीन की इज्ज़त व सरबुलंदी और अमन के वसीले है, और लोगों का लश्कर और सिपाहियों के बगैर बाकी रहना असंभव है।
नहजुल बलाग़ा,खुत्ब नं 53