नहजुल बलाग़ा
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हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली:
हज़रत अली अलैहिस्सलाम के ख़ुत्बे क़ुरान की व्याख्या और तफ़सीर के समान हैं जो इल्म और हिकमत की उच्चतम मिसाल हैं।
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने कहा,वह लोग जो केवल खुद को प्रमुख बनाने या खबरों में बने रहने की इच्छा रखते हैं, न तो दूसरों की समस्याएं हल कर सकते हैं और न अपनी।
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औक़ाफ़ के अधिकारियों के साथ आयतुल्लाह आराफ़ी की बैठक:
दुनिया में शुद्ध इस्लाम और इस्लामी क्रांति के विकास का क्षेत्र असीमित है
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया के निदेशक ने कहा दुनिया में इस्लामी क्रांति की अभिव्यक्ति प्रतिरोध से कहीं अधिक है, और हम दुनिया में जहां भी जाते हैं, वहां क्रांति की किरणें होती हैं।
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दिन की हदीस:
मौत आने से पहले तैयारी
हौज़ा / हज़रत इमाम अली अ.स. ने एक रिवायत मे मौत आने से पहले उसकी तैयारी के लिए नसीहत फरमाई हैं।
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भारत से आए सुन्नी ज़ाएरीन के कारवां ने इमाम रज़ा (अ) के हरम मे हाज़री दी
हौज़ा / भारत से सुन्नी ज़ाएरीन के एक कारवां को मशहद पहुंचने के बाद इमाम रज़ा (अ) के हरम मे ज़ियारत करने का सौभाग्य मिला।
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दिन की हदीस:
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम की दो अहम नसीहतें
हौज़ा / हज़रत इमाम अली अ.स. ने एक रिवायत मे दो अहम नसीहतें बयान फरमाई हैं।
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दिन की हदीस:
किसी बात या खबर को सुनकर कैसे प्रतिक्रिया दें?
हौज़ा / हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में किसी बात या खबर के सुनने पर क्या प्रतिक्रिया दे, को बयान फरमाया है।
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दिन की हदीस:
लोगो की बक़ा का सबक एक समूह
हौज़ा / हज़रत इमाम अली (अ) ने एक रिवायत में एक समूह की पहचान कराई है जो लोगों की बक़ा का कारण है।
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नहजुल-बलागा के नजरिए से सामाजिक और सामूहिक जिम्मेदारी
हौज़ा / हौज़ा और विश्वविद्यालय की शिक्षका ने कहा: अमीरुल मोमिनीन हज़रत इमाम अली (अ) की जीवनी और नहजुल-बलागा में उनके बहुमूल्य भाषण की समीक्षा करने से यह सर्वविदित है कि लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करना और उनके साथ अच्छा नैतिक रूप से कार्य करना सामाजिक में से एक है एक इंसान की जिम्मेदारियाँ है।
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दिन की हदीस:
तकवा की रियायत में ज़बान का किरदार
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में तकवा की रियायत में ज़बान के किरदार की ओर इशारा किया हैं।
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दिन की हदीस:
बुद्धिमान मनुष्य के लक्षण
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में सहाबे बसीरत इंसान की खूबसूरत को बयांन किया हैं।
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:दिन कि हदीस
आरज़ू को तर्क करने की अहमियत
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में आरज़ू को तर्क करने की अहमियत की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
ज़ालिम और मज़लूम के बारे में हमारी ज़िम्मेदारियां
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में ज़ालिम और मज़लूम के के बारे में हमारी जिम्मेदारियों की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
मुनाफिक आदमी की निशानियां
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में मुनाफिक आदमी की निशानियों की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
नौजवानों की खुसूसियत
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में नौजवानों की खुसूसियत में से एक की ओर इशारा किया हैं।
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नहज-उल-बलाग़ा अख़लाक़ी फ़ज़ाइल से भरपूर किताब है
हौज़ा / ईरान के इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ने कहा: अगर हम नहज अल-बालागा को मानव जाति के मार्गदर्शन के लिए एक किताब के रूप में देखते हैं, तो यह एक ऐसी किताब है जिसमें "अली शनासी" भी शामिल है और अंजाम दिए जाने वाले और अंजाम ना दिए जाने वाले मामलों का विवरण भी है।
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विज्ञान एवं साहित्य की नगरी लखनऊ में ऐतिहासिक भव्य नहज-उल-बलाग़ा सम्मेलन;
अरबी भाषा और साहित्य की उत्कृष्ट कृति, वाक्पटुता और वाग्मिता का उच्चतम मानक नहज अल-बलागा है: विद्वान और बुद्धिजीवी
हौज़ा / विलायत की घोषणा के दिनों के दौरान, ऐन अल-हयात ट्रस्ट, इस्लामिक सेंटर ऑफ इस्लामिक अफेयर्स और दसियों अन्य सक्रिय धार्मिक और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ऐतिहासिक भव्य नहज-उल-बालागा सम्मेलन का आयोजन किया।
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:दिन कि हदीस
नमाज़ की अहमियत
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में नमाज़ की अहमियत कि ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
कयामत को याद करने की हिकमत
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में कयामत को याद करने की हिकमत कि ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
किसी व्यक्ति के स्वभाव को कैसे पहचानें?
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में किसी व्यक्ति के स्वभाव को पहचानने के तरीके की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
बेकार तारीफ और प्रशंसा का अंजाम
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में बे जा तारीफ और प्रशंसा के अंजाम कि ओर इशारा किया हैं।
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इस्लामी क्रांति; यह कुरान और नहज अल-बालागा के आधार पर विकसित हुई है
हौज़ा / इमाम खुमैनी (र) उच्च शिक्षा परिसर क़ुम के क़ुद्स हॉल में केंद्र के संगठन के तहत क़ोम शहर में "तालीमाते नहज-उल-बलाग वा राह-ए-हाय नश्र आन" विषय पर एक भव्य संगोष्ठी आयोजित की गई।
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:दिन कि हदीस
मोमिन की खुसूसियात
हौज़ा/ हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में मोमिन की 18 खुसूसियात बयान फरमाई हैं।
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:दिन कि हदीस
किताबे खुदा से जुड़े रहने पर ताकीद
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में किताबे खुदा से जुड़े रहने पर ताकीद की हैं।
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:दिन कि हदीस
हर रोज़ फरिश्ते की आवाज़
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में एक फरिश्ते की ओर इशारा किया है जो हर रोज़ आवाज़ देता हैं।
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मस्जिदो मे युवा पीढ़ी पर ज्यादा ध्यान दें; सय्यद सईद हुसैनी
हौजा/कशान में वली फकीह के प्रतिनिधि ने मस्जिदों में युवा पीढ़ी पर ध्यान देने पर जोर दिया और कहा: हम मस्जिद में अधेड़ और बूढ़े लोगों की उपस्थिति के खिलाफ नहीं हैं, सभी विश्वासियों को मस्जिद में आना चाहिए, लेकिन युवाओं को मस्जिद की ओर अधिक आकर्षित होना चाहिए।
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मदरसे इमामुल मुन्तज़र अ.स.कुम में दरस नहजुल बलाग़ा का आयोजन
हौज़ा/ अफ्कारे इस्लामिक कुम अलमुकद्देसा की ओर से 31मार्च 2022 को मदरसे अलइमामुल मुंतज़र अ.स. के सहयोग से दरस नहजुल बलाग़ा का आयोजन किया गया था।
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अमीरूल मोमेनीन हज़रत अली (अ.स.) से मोहब्बत का अर्थ है कि आपके कथन को समझा जाए और उसे व्यवहारिक बनाया जाए
हौज़ा / वक्ताओं ने मुस्लिम और गैर-मुस्लिम विचारकों और बुद्धिजीवियों की दृष्टि में नहजुल बालाग़ के महत्व को समझाया और इस बात पर जोर दिया कि अमीरूल मोमेनीन हज़रत अली (अ.स.) से मोहब्बत का अर्थ है कि आपके कथन को समझा जाए और उसे व्यवहारिक बनाया जाए ताकि दुनिया और परलोक का सुख प्राप्त किया जा सके।
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आयतुल्लाह अबल क़ासिम वाफ़ी:
आलिमे दीन अगर बा अमल नहीं है, तो उसका ज्ञान किसी काम का नहीं है
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के शिक्षक संघ के सदस्य ने कहा: अगर विद्वानों के ज्ञान का व्यावहारिक परिणाम न हो और वे व्यवहार में इस्लाम और इस्लामी शिक्षाओं को बढ़ावा नहीं देते हैं तो उनके ज्ञान का कोई लाभ नही है।
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दिन की हदीसः
परलोक के बारे में अमीरूल मोमेनीन (अ.स.) की सलाह
हौज़ा / हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने एक रिवायत में परलोक के लिए ज़ादे राह अर्थात अच्छे कर्म इकट्ठा करने की सलाह दी है।
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नहजुल बालाग़ा के पाठो को जारी रखने की जरूरत है
हौज़ा / मदरसा हुज्जतिया के शहीद मोताहरी हॉल में मरकज़-ए-अफकार-ए-इस्लामी क़ुम द्वारा "नहजुल बालाग़ा में पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की सीरत" पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे विभिन्न विद्वानो ने नहजुल बलाग़ा की रोशनी मे पैगंबर की सीरत पर प्रकाश डाला।