۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा/ इस आयत का मुख्य विषय बलिदान, विश्वास और अल्लाह द्वारा उन लोगों को दिया गया इनाम है जो अल्लाह की राह में संघर्ष करते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

فَاسْتَجَابَ لَهُمْ رَبُّهُمْ أَنِّي لاَ أُضِيعُ عَمَلَ عَامِلٍ مِّنكُم مِّن ذَكَرٍ أَوْ أُنثَی بَعْضُكُم مِّن بَعْضٍ فَالَّذِينَ هَاجَرُواْ وَأُخْرِجُواْ مِن دِيَارِهِمْ وَأُوذُواْ فِي سَبِيلِي وَقَاتَلُواْ وَقُتِلُواْ لأُكَفِّرَنَّ عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ وَلأُدْخِلَنَّهُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الأَنْهَارُ ثَوَابًا مِّن عِندِ اللّهِ وَاللّهُ عِندَهُ حُسْنُ الثَّوَابِ    फ़स्तजाबा लहुम रब्बोहुम अन्नी ला ओज़ीओ अमला आमेलिम मिनकुम मिन ज़करिन ओ उन्सा बअज़ोकुम मिन बअज़िन फ़ल्लज़ीना हाजरू व उखरेजू मिन देयारेहिम व आज़ू फ़ी सबीली व कातेलू व कोतेलू लओकफ़्फेरन्ना अनहुम सय्येआतेहिम वला उदखेलन्नहुम जन्नातिन तजरि मिन तहतेहल अन्हारो सवाबम मिन इन्दिल्लाहे वल्लाहो इन्दहू हुसनुस सवाब (आले-इमरान 195)

अनुवाद: तो ख़ुदा ने उनकी दुआ क़ुबूल कर ली कि मैं तुम में से किसी के भी काम बर्बाद नहीं करूँगा, चाहे वह मर्द हो या औरत उनके बुरे कामों पर पर्दा डाल दो और उन्हें उन बागों में दाखिल कर दो जिनके नीचे नहरें बहती हैं।

विषय:

इस आयत का मुख्य विषय बलिदान, विश्वास और अल्लाह द्वारा उन लोगों को दिया गया इनाम है जो अल्लाह की राह में संघर्ष करते हैं।

पृष्ठभूमि:

यह आयत उन मुसलमानों के लिए अवतरित हुई जो इस्लाम के शुरुआती दिनों में कठिनाइयों और उत्पीड़न का सामना कर रहे थे। उनमें से कुछ ने पलायन किया, अपने घर छोड़े और अल्लाह की राह में लड़े। इस आयत में अल्लाह इन लोगों को दिलासा दे रहा है कि उन्हें उनकी कुर्बानियों का इनाम मिलेगा।

तफसीर:

यह आयत मुसलमानों के लिए अपने विश्वास पर दृढ़ रहने और अल्लाह की राह में हर तरह का बलिदान देने के लिए तैयार रहने के लिए एक मार्गदर्शिका है। यह हमें सिखाता है कि सांसारिक कठिनाइयों और कष्टों के बावजूद, अल्लाह के वादे सच्चे हैं और वह अपने सेवकों को उनके बलिदानों के लिए सर्वोत्तम पुरस्कार देगा।

परिणाम:

आयत का निष्कर्ष यह है कि विश्वास की दृढ़ता और अल्लाह की राह में बलिदान देना एक मुसलमान की मुख्य विशेषताएं हैं। अल्लाह ताला ने अपने सच्चे बंदों को जन्नत और गुनाहों की माफी की खुशखबरी दी है, जिससे उन्हें इस दुनिया की कठिनाइयों के खिलाफ आराम और साहस मिलता है।

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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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