۲۸ شهریور ۱۴۰۳ |۱۴ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 18, 2024
Karbala

हौज़ा / जनाब बुरैर इब्ने हजीरअल हमदानी मशरकी था आपका कबीला हमदान की शाख बनू मशरिक की एक अज़ीम शख्सियत थे आप काफी उम्र रसीदा और ताबइ होने के साथ आबिद-व-जाहिद,कारी-ऐ-कुरआन बल्कि उस्ताद-ऐ-कुरआन थे आप का शुमार अमीरुल मोमिनीन के असहाब और शुराफाए कूफा में था

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप का पूरा नाम बुरैर इब्ने हजीर-अल-हमदानी मशरकी था । आपका कबीला हमदान की शाख बनू मशरिक की एक अज़ीम शख्सियत थे । आप काफी उम्र रसीदा और ताबइ होने के साथ आबिद-व-जाहिद,कारी-ऐ-कुरआन बल्कि उस्ताद-ऐ-कुरआन थे आप का शुमार अमीरुल मोमिनीन के असहाब और शुराफाए कूफा में था।

आपने कूफा से मक्का जाकर इमाम हुसैन अ० के हमराही इख्तेयार की थी आपने इमाम हुसैन अलै० और उनके अहलेबैत अ० की जैसी खिदमत की है उस की मिसाल नज़र नहीं आती शबे आशूर पानी की जद्दो जहद में आप ने जो कारनामा किया है वो सफ्हाते तारिख में सोने के हर्फ़ से लिखने के काबिल है।

शबे आशूर के बाद सुबह आशूर आपने जबरदस्त नबर्द आजमाई की बुढ़ापे के बा-वजूद आप ने ऐसी जंग की की दुश्मनों के दांत खट्टे हो गए आप जिस पर भी हमला करते थे उसे फ़ना के घाट उतार देते थे सब से पहले आप से जिसने मुकाबला किया वह यजीद इब्ने मअक्ल था।

आपने उसे चन्द वारो में फ़ना कर दिया आखिर इसी तरह आपने तीस दुश्मनों को फ़ना के घाट उतार दिया आखिर में राज़ी इब्ने मनक्ज़ सामने आया आपने उसे ज़मीन पर दे मारा और उस के सीने पर सवार हो गए इतने में कअब इब्ने अज्वी ने आप की पुश्ते मुबारक पर तीर का गहरा वार किया।

कअब ने नेजा और तलवार से कई वार करके जनाब बुरैर को सख्त जख्मी कर दिया और आखिर आप को बहिर इब्ने औरा-अल-जबी ने शहीद कर डाला । शहादत के वक़्त आपने हजरते इमामे हुसैन अले० को आवाज़ दी और आप उनकी लाश पर पहुचे और आपने निहायत दर्द भरे लहजे में फरमाया “अन-बुरैर मिन्न अबदिल्लाह-हिस्सालेहींन”  हाय बुरैर हमसे जुदा हो गए जो खुदा के बेहतरीन बन्दों में से थे।

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