हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप का पूरा नाम बशीर इब्ने उमर इब्ने अहदोस अलह्ज्ररमी अल-कनदी था। आप हजरे मौत के रहने वाले थे और आप का शुमार कबीला-ऐ-कनदी में होता था आप ताबइ और बड़ी फज़िलातो के मालिक थे।
आप का और आपके लड़कों का ज़िक्र अक्सर तारीखी जंग में आता है। आप कर्बला में इमाम हुसैन की खिदमत में हाज़िर हुए थे। आप के हमराह आप के एक लड़के मोहम्मद नामी थे।
सुबहे आशूर आगाज़ ही पर आपको इत्तेला मिली की आप के एक लड़के उमर नामी हुकूमते रै की सरहद पर गिरफ्तार हो गए है आपने जब ये सुना तो कहा। खुदाया! मै अपने लड़के को तुझसे लूँगा ये मुझको गवारा नहीं हो सकता की मैं जिंदा और मेरा लड़का गिरफ्तार रहे ।
हज़रत इमाम हुसैन अ० ने उनका ये कलाम सुन लिया फरमाया ऐ बशर ! मै तुम्हे इजाज़त देता हुं की तुम जाकर अपने लड़के को रिहा कराओ।
बशर ने जवाब दिया आका-ओ-मौला” !मुझे शेर और भेड़ीये खा ले अगर मै आपको इन दुश्मनों में छोड़कर चला जाऊं।“हजरत ने फ़रमाया “अच्छा पांच चादरे यमानी जिन की कीमत एक हज़ार अशर्फी हैं अपने बेटे मोहम्मद को दे कर यहाँ से रवाना कर दो आपने इस के बाद पांचो यमनी चादरे उनको अता फरमाई मुआर्रखींन का इसपर इत्तेफाक है यौमे आशूरा हमला-ऐ-अव्वल आपने भी शहादत पाई।