हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप का कबीला-ऐ-बनी शाकिर की यादगार थे। आप निहायत बहादुर, रईस, आबिदे ज़िन्दादार और अमीरुल मोमिनीन के मुखलिस तरीन मानने वाले थे। आपके क़बीले बनी शाकिर पर अमीरुल मोमिनीन को बड़ा एतेमाद था।
इसी वजह से आपने जंगे सिफ्फिन में फरमाया था कि अगर कबीला-ऐ-बनी शाकिर के एक हजार अफराद मौजूद हो तो दुनिया में इस्लाम के सिवा कोई मज़हब बाकी न रहेगा।
जब जनाबे मुस्लिम इब्ने अक़ील कूफे पहुंचे थे आपने सबसे पहले मदद का यकीन दिलाया था और उनके कूफा के दौरान कयाम में उनकी पूरी मदद की थी। फिर जनाबे मुस्लिम का खत लेकर मक्का-ऐ—मोअज़्ज़मा इमाम हुसैन अलै० के पास गए और उन्ही के हमराह कर्बला-ऐ-मोअल्ल्ला पहुचे ।
यौमे अशुरा जब आप मैदान में तशरीफ लाये और मुबारज तलबी की तो कोई भी आप के मुकाबले के लिए न निकला। बिल आखिर आप पर एज्तेमाई तौर पर पथराव किया गया । फिर बेशुमार अफराद ने मिलकर हमला करके शहीद कर दिया। इसके बाद सर काट लिया।