۲۳ شهریور ۱۴۰۳ |۹ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 13, 2024
کربلا

हौज़ा / नामी मालिक इब्ने अब्दुल्लाह इब्ने सरीअ इब्ने जाबिर हमदानी अलजाबरी था, कबीला-ऐ-हमदान से बनी जाबिर भी एक कबीला है जनाबे मालिक इब्ने अब्दुल्लाह इसी कबीला-ऐ-जाबिर से ताल्लुक रखते थे। आप निहायत बहादुर और इन्तेहाई मुंसिफ मिज़ाज थे आले मोहम्मद की मोहब्बत आपके दिल में भरी हुई थी और अहलेबैत रसूल की खिदमत को आप अपना फ़रीज़ा जानते थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप का नामी मालिक इब्ने अब्दुल्लाह इब्ने सरीअ इब्ने जाबिर हमदानी अलजाबरी था, कबीला-ऐ-हमदान से बनी जाबिर भी एक कबीला है जनाबे मालिक इब्ने अब्दुल्लाह इसी कबीला-ऐ-जाबिर से ताल्लुक रखते थे।

आप निहायत बहादुर और इन्तेहाई मुंसिफ मिज़ाज थे आले मोहम्मद की मोहब्बत आपके दिल में भरी हुई थी और अहलेबैत रसूल की खिदमत को आप अपना फ़रीज़ा जानते थे।

यौमे आशुरा से पहले इमाम हुसैन अलै० की खिदमत में हाज़िर हुए थे। सुबहे आशुर से आप हंगाम-ऐ-कारज़ार में बार-बार दौड़ धूप करने के बाद ब-चश्मे गिरया हाज़िरे खिदमत होकर अर्ज़-परदाज़ हुए। मौला! अब इजाजते जिहाद दे दीजिये इमाम हुसैन अलै० ने फरमाया मेरे भाई गिरया मत करो अनकरीब तुम्हारी आँखे ठंडी हो जायेगीं।

मालिक इब्ने अब्दुल्लाह ने अर्ज़ की मौला! हम आप की बे-बसी, बे-कसी और आप के बच्चों की प्यास की वजह से गिरया करते है मौला! इस के सिवा और कोई रास्ता हमारे पास नहीं की हम आप पर अपनी जान निसार कर दे।

गरज यह है की इमाम हुसैन ने इजाज़त दी और आप रज़्मगाह पहुंच कर नबर्द आजमा हुए यहाँ तक की आप घोड़े से गिरे और इमाम हुसैन अलै० ब-आवाज़े बलन्द सलाम किया आपने जवाबे सलाम के बाद फरमाया “व न्ह्नो ख्ल्फोका” मेरे वफादार बहादुर नाना की खिदमत में चलो मै तुम्हारे पीछे बहुत जल्द आ रहा हूँ।

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