۳۰ شهریور ۱۴۰۳ |۱۶ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 20, 2024
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हौज़ा / जामिया अलज़हरा स.ल.में तब्लीग़ी और और सांस्कृतिक मामलों के प्रमुख ने कहां,इस समय छात्राओं के लिए महारत बढ़ाने के कई अवसर हैं और हमें इन महारतों के साथ-साथ सांस्कृतिक और तबलीगी सामग्री भी प्रदान करनी होगी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जामिया अलज़हरा स.ल.में तब्लीग़ी और और सांस्कृतिक मामलों के प्रमुख मोहतरमा मासूमा शरीफ़ी ने क़ुम अलमुकद्देसा की महिला निदेशक जनरल, मरयम अरब, और जामेअत अलज़हरा स.ल.की प्रमुख मोहतरमा सैय्यदा ज़हरा बूरक़ई के साथ एक मुलाकात में विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया।

यह मुलाकात जामेअत अलज़हरा के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित की गई मोहतरमा शरीफ़ी ने कहा कि अब तक दोनों संस्थानों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा सहयोग रहा है, और उम्मीद है कि यह संबंध और अधिक मजबूत और लाभदायक होगा।

जामिया अलज़हरा स.ल. में तबलीगी और सांस्कृतिक मामलों की प्रमुख ने कहा कि हौज़ा ए इल्मिया का मूल उद्देश्य तबलीग़ और आम जनता के दीन से जुड़े मसाइल को हल करना है।

उन्होंने अपने विभाग की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि महिलाओं और परिवार के सामाजिक मुद्दों, हया और हिजाब, तौहीद पर आधारित तर्बियत, जनसंख्या वृद्धि और बच्चों की परवरिश जैसे विषयों पर काम किया जा रहा है।

मोहतरमा शरीफ़ी ने (सफ़ीराने मोहब्बत) प्रोजेक्ट का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट का मकसद मुबल्लीग़ीन को मरीज़ों के दीन से जुड़े मसाइल के हल और अस्पताल के स्टाफ़ और मरीज़ों की रूहानी और मआनवी बेहतरी में मदद करना हैं।

इस योजना के तहत मुबल्लीग़ीन मेडिकल स्किल्स सीखकर मरीज़ों के साथ अच्छा ताल्लुक़ क़ायम करेंगे और उनके दीन से जुड़े मसाइल में मदद करेंगें।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा मकसद एक ही है और अगर हम मिलकर काम करें तो इसका समाज पर ज़्यादा सकारात्मक असर होगा।

आख़िर में शरीफ़ी ने कहा कि औरतों को माँ और औरत होने पर फ़ख़्र करना चाहिए और हमें ऐसे प्रोजेक्ट्स तैयार करने की ज़रूरत है जो माँओं और बेटियों को नस्ल-ए-ज़ुहूर (आने वाली पीढ़ी) की तर्बियत के लिए तैयार करें।

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