हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट केअनुसार, ''ईद मिलाद-उल-नबी के जुलूस में डीजे बजाने और आतिशबाजी से बचना चाहिए'' उक्त संदेश वखरोली के सुन्नी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मुहम्मद फिरोज बख्तुल कादरी सिद्दीकी ने मस्जिद में बुलाये गये अन्य ट्रस्टियों व युवाओं की बैठक में दिया। गौरतलब है कि विक्रोली में कुछ जगहों पर डीजे के खिलाफ होर्डिंग्स भी लगाए गए हैं।
यह स्पष्ट होना चाहिए कि इससे पहले जुलूस के संबंध में खिलाफत हाउस (बाइकला) में अलग-अलग तिथियों पर बुलाई गई तीन बैठकों में इस संबंध में एक अनुस्मारक दिया गया है कि इन मिथकों पर पैसा बर्बाद करने के बजाय, इसे खर्च किया जाना चाहिए। जरूरतमंदों और बीमारों को फल बांटे जाएं या गरीब छात्रों की फीस का भुगतान किया जाए ताकि उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में आने वाली समस्याएं दूर हो जाएं।
मौलाना कादरी ने यह भी कहा, ''डीजे बजाने, आतिशबाजी और आपत्तिजनक नारों से मरीजों, राहगीरों और आम लोगों को परेशानी होती है, साथ ही भाई-बहनों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.'' इसलिए, इन गैरकानूनी मामलों से हर समय बचना चाहिए और पवित्र पैगंबर की धन्य शिक्षाओं को हर समय ध्यान में रखना चाहिए। "
मुस्लिम जमात के अध्यक्ष निसार अहमद क़ुरैशी ने कहा कि "हम सभी भगवान के सम्मान में जुलूस निकालते हैं, इसलिए हमारा तरीका एक जैसा होना चाहिए, हम सभी डीजे का विरोध करते हैं, किसी को भी डीजे नहीं लाना चाहिए।" इस संबंध में कुंमवार नगर मस्जिद के अध्यक्ष शहाब अब्दुल समद मेहबूब शेख ने यह संदेश दिया कि "दो दुनियाओं के भगवान के आगमन के अनुसार, इस दिन अच्छे काम किए जाने चाहिए और मिथकों से बचना चाहिए।" ब्रदर्स फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष वाजिद क़ुरैशी ने कहा, "हम सभी को रैलियां और अन्य काम ऐसे तरीके से करने होंगे जिसकी सराहना की जाए और हमारे किसी भी कार्य का गलत संदेश न जाए, हम सभी को हर कीमत पर इससे बचना होगा।" अन्य सज्जनों ने भी ऐसा ही सन्देश दिया।