۳ آبان ۱۴۰۳ |۲۰ ربیع‌الثانی ۱۴۴۶ | Oct 24, 2024
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हौज़ा / ईरान के शहर सनंदज के मशहूर अहले सुन्नत आलिमेदीन मौलवी मोहम्मद अमीन रासती ने कहा है कि अगर इस्लामी देश एकजुट हो जाएं तो इज़राईल और वैश्विक साम्राज्यवादी ताकतों का अंत हो जाएगा उन्होंने ग़ाज़ा और लेबनान पर इसराइली अत्याचारों के खिलाफ इस्लामी दुनिया की खामोशी पर अफसोस जताते हुए कहा कि मुसलमानों की एकता से ही इन अत्याचारों का अंत संभव है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के मुताबिक,ईरान के शहर सनंदज के मशहूर अहले सुन्नत आलिमेदीन मौलवी मोहम्मद अमीन रासती ने कहा है कि अगर इस्लामी देश एकजुट हो जाएं तो इज़राईल और वैश्विक साम्राज्यवादी ताकतों का अंत हो जाएगा उन्होंने ग़ाज़ा और लेबनान पर इसराइली अत्याचारों के खिलाफ इस्लामी दुनिया की खामोशी पर अफसोस जताते हुए कहा कि मुसलमानों की एकता से ही इन अत्याचारों का अंत संभव है।

हौज़ा न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने ग़ाज़ा और लेबनान के खिलाफ इज़राईल द्वारा किए जा रहे लगातार अत्याचारों की ओर इशारा करते हुए कहा, पिछले एक साल से इज़राईली सेनाएं ग़ाज़ा और फिलिस्तीनी जनता पर बर्बर हमले जारी रखे हुए हैं।

मौलवी रासती ने आगे कहा कि बीसवीं सदी में इतने बड़े पैमाने पर नरसंहार के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसराइली राज्य की अत्याचारी कार्रवाइयों पर मौन है बल्कि कुछ पश्चिमी देश विशेष रूप से अमेरिका, इज़राइल को नवीनतम सैन्य और विनाशकारी हथियार प्रदान कर रहे हैं जबकि वह सार्वजनिक रूप से शांति और इसराइली आक्रमण का विरोध करने का दावा करते हैं।

उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, कुछ इस्लामी देश न केवल इसराइली अत्याचारों पर मौन हैं बल्कि अपने हितों के लिए इज़राइल के साथ कूटनीतिक संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं जबकि वह देखते हैं कि उनके सहधर्मी इज़राईली के हाथों कैसे मारे जा रहे हैं।

मौलवी रासती ने कहा,इज़राइल ने पिछले साल के दौरान यह स्पष्ट कर दिया है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों की कोई परवाह नहीं है और वैश्विक जनमत उसके लिए कोई मायने नहीं रखती हैं।

उन्होंने आगे कहा,इस्लामी देशों की चुप्पी ने इज़राइल को पहले से अधिक साहसी बना दिया है जिससे वह ग़ाज़ा और लेबनान पर अपने हमलों को और तेज़ कर रहा है उनके अनुसार, इस्लामी दुनिया में एकता की कमी ही इज़राईली के बढ़ते अत्याचारों का मुख्य कारण है।

मौलवी रासती ने कहा,अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देश भी चाहते हैं कि इस्लामी दुनिया में एकता न हो क्योंकि अगर मुसलमानों में एकता हो गई तो यह इज़राईली और साम्राज्यवाद के अंत का समय होगा।

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