हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "अलग़ैबह" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
فَاِنْ ماتَ وَ قامَ القائِمُ بَعْدَهُ كانَ لَهُ مِنَ الاَْجْرِ مِثْلُ اَجْرِ مَنْ اَدْرَكَهُ، فَجِدُّوا وَانْتَظِرُوا هَنيئا لَكُمْ اَيَّتُهَا الْعِصابَهُ الْمَرْحُومَةُ
हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अगर कोई हज़रत इमाम ए ज़माना अ.स. के इंतज़ार में हो और उनके क़याम से पहले उसकी मौत हो जाए, तो उसका अज्र-ओ-सवाब उस शख्स की तरह है जिसने इमाम ए अस्र अ.स.के ज़माने को दरक किया हो। लिहाज़ा कोशिश करो और हमेशा इमाम के इंतज़ार में रहो। मुबारक हो तुमको ऐ वो दोस्त जिन पर खुदा का लुत्फ़ और करम है।
अलग़ैब नोमानी,पेज 200